धमतरी. जिले के ऐसे किसान जो चालू रबी सीजन में धान के बजाय चनाए मटर इत्यादि फसल ले रहे उनके बीच आज कलेक्टर डॉ.सी.आर.प्रसन्ना पहुंचे। किसानों द्वारा रबी में इन फसलों को लगाने के लिए अपनाए गए तरीकों, सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता, बाजार में इसकी मांग इत्यादि के संबंध में कलेक्टर ने उनसे जानकारी ली। मौके पर कलेक्टर ने जिले के किसानों का चना के बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत् आधार बीज लेने, उनका पंजीयन कराकर समय पर बीज उपलब्ध कराने पर जोर दिया। इसके अलावा दिसंबर तक जिले के चना बोने वाले किसानों का कुल रकबा की जानकारी तैयार कर उपलब्ध कराने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित कियाए ताकि किसानों को उनकी उपज की सही मार्केटिंग के लिए आवश्यक सुविधा मुहैय्या कराने का प्रयास किया जा सके। वे सबसे पहले कुरूद स्थित राखी के प्रगतिशील किसान महेन्द्र चन्द्राकर के खेत में पहुंचे, जहां कृषक ने चना बोया है। कृषक ने बताया कि 30 एकड़ के खेत में से 20 एकड़ में अभी चना लगा है, वे 10 एकड़ में और चना लगाएंगे। वे पिछले दो सालों से रबी में चना की फसल लगा रहे हैं और उन्हें पिछले रबी में प्रति एकड़ 10 क्विंटल का उपज मिला। इसलिए वे इस साल भी रबी में चना की खेती करने का निर्णय लिए। कृषक ने चना उत्पादक किसानों की सुविधा के लिए इस 120 दिन की फसल को बाजार उपलब्ध कराने की मांग की, जिससे कि अन्य किसानों को चना लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके | इसी के साथ कलेक्टर ने धमतरी स्थित पुरी में डॉ.इंदर चंद जैन के खेत में लगे मटर की फसल को नजदीक से देखा। खेत में काम कर रहे श्रमिक ने बताया कि रबी में इस बार दो एकड़ में मटर की फसल लगाई गई हैए जिसमें प्रति एकड़ में 100.100 क्विंटल उपज मिलने की संभावना है। उन्होंने यह भी बताया कि इसकी बाजार में कीमत 2500 रूपए प्रति क्विंटल मिलेगी, जो कि रबी धान के 1200 से 1300 रूपए प्रति क्विंटल से काफी अधिक है। इस फसल से नाईट्रोजन फिक्सेशन में मदद मिलती है और खरीफ फसल में मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है और मटर के पत्तों को चारा के तौर पर भी उपयोग किया जाता है। इन्हीं वजहों से खेत में इस बार रबी में मटर बोया गया है।
वहीं सांकरा में रबी के सीजन में चना की खेती करने वाले उन्नत कृषक हुलेश्वर साहू और चनाबूट की खेती करने वाले उन्नत कृषक मुरली साहू से भी कलेक्टर ने मुलाकात की।हुलेश्वर साहू के खेतों का जायजा लेते हुए कलेक्टर ने उनसे विस्तार से चर्चा की। कृषक ने बताया कि वे पिछले साल से चार एकड़ के खेत में चना और एक एकड़ में गेहूं की फसल ले रहे हैं। जहां उन्हें चना की खेती में प्रति एकड़ पांच से छः क्विंटल उपज मिलने की संभावना है, वहीं एक एकड़ के गेहूं के फसल में सात से दस क्विंटल उपज मिल सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि बाजार में चना प्रति क्विंटल पांच हजार रूपए तक बिकता है। इसी गांव के कृषक मुरली साहू जो चनाबूट की खेती चार एकड़ क्षेत्र में कर रहे हैं, उन्होंने बताया कि 60 दिन के इस फसल के लिए दो बार पानी की आवश्यकता होती है तथा प्रति एकड़ की उपज से 40 हजार रूपए तक की कमाई उन्हें होती है। उन्होंने यह भी बताया कि चनाबूट को बेचने में उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं आती, इसकी बिक्री हाथों.हाथ हो जाती है। इन दोनों किसानों से एकस्वर में कहा कि चना तथा मटर जैसे फसलों में कम पानी की आवश्यकताए इन फसलों की अच्छी कीमत मिलने तथा खरीफ के सीजन में फसल परिवर्तन से धान उत्पादन में प्रति एकड़ चार से पांच क्विंटल की वृद्धि की वजह से वे ना केवल स्वयं रबी में यह फसल लगा रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। इस मौके पर कृषि विभाग का अमला कलेक्टर के साथ मौजूद रहा।