हमर धमतरी/ कांकेर. एक ओर जहां ज्यादातर लोग पढ़ाई लिखाई के बाद बेहतर नौकरी के तलाश में शहर का रूख कर रहे हैं वहीं उत्तर बस्तर (कांकेर) जिले के आशाराम ने अपने ही पुश्तैनी पेशे कृषि को अपनाकर अपने जीवन को बेहतर मुकाम दे दिया है। आशाराम के पास किसी जमाने में 6 एकड़ पुश्तैनी जमीन थी लेकिन तब उनकी सालाना इंन्कम थी महज डेढ़ लाख रुपए लेकिन जैसे ही उन्होंने उन्नत कृषि को रुख किया बेतहाशा सफलता उनके हाथ लगी और आज उनकी सालाना इंन्कम है तकरीबन 15 लाख रुपए।
ग्राम बेवरती के युवा कृषक आशाराम नेताम स्नातक की उपाधि के बाद अपने घर की पैतृक जमीन में ही अपने अपने पिताजी के साथ कृषि कार्य रहे। वर्ष 2013-14 से पहले आशाराम अपनी 6 एकड़ भूमि में धान की फसल लिया करते थे और साथ ही साथ पशुपालन भी करते थे। लेकिन अब कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर के मार्गदर्शन में समन्वित कृषि प्रणाली से जानकारी लेकर कृषि और पशुपालन कर रहे हैं। उनकी आमदनी में अब पांच गुना वृद्धि हो चुकी है। वे अपने 6 एकड़ भूमि में खरीफ में धान व रबी मौसम में अलसी एवं चना की फसल ले रहे हैं। वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन करते हुए गायों की संख्या में भी 5 से 6 गुना वृद्धि हुई है। वे एक एकड़ भूमि में दो तालाब निर्माण कर वर्षभर मछली बीज एवं मछली का उत्पादन कर रहे हैं।
इसके साथ ही आशाराम अपने प्रक्षेत्र में 6 अन्य लोगों को वर्षभर रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। कृषि क्षेत्र में इनकी उपलब्धियों के देखते हुए इन्हे वर्ष 2016 में कृषि समृद्धि सम्मान व इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2016 में कृषक फैलोशिप सम्मान प्रदान किया गया है। आशाराम ने अपने 1.8 हेक्टेयर रकबे में खरीफ धान की 81 क्विंटल धान उत्पादन किया। उन्होंने 0.4 हेक्टेयर में मछली पालन, एक हेक्टेयर में रबी फसल अलसी बोनी कर 7 क्विंटल उत्पादन किया। आशाराम ने एक हेक्टयेर में 8 क्विंटल चना का उत्पादन कर 48 हजार रूपये की आय अर्जित की। वे पशुपालन के क्षेत्र में 35 गाय पालन कर प्रतिदिन 300 लीटर दूग्ध उत्पादन करते हैं। इन सबसे आशाराम को प्रतिवर्ष 14 लाख 40 हजार 300 रूपये की आय प्राप्त हो रही है।