नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आम बजट की तैयारियों के बीच सरकार कृषि क्षेत्र के लिए 500 करोड़ रुपए की केंद्रीय निधि के गठन की योजना पर काम कर रही है जिसके तहत राज्य सरकारों को 'मार्केट एश्युरेंस स्कीम' के तहत किसानों को राहत देने के वास्ते ब्याज मुक्त अग्रिम निधि प्रदान की जाएगी। केंद्रीय निधि से अग्रिम आवंटन से राज्य सरकारें अपने स्तर पर रिवोल्विंग निधि का गठन करेंगी और इससे उन किसानों की मदद की जाएगी जिन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) से कम दाम पर अपनी फसलें बेचने को मजबूर होना पड़ता है।
किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं मिलना कृषि क्षेत्र के संकट का एक बड़ा कारण भी है। योजना के अनुसार राज्यों को इस संकट से निपटने के लिए अग्रिम निधि बिना ब्याज के आवंटित की जाएगी। इससे राज्य सरकारों को केंद्र की प्रस्तावित 'मार्केट एश्युरेंस स्कीम में भागीदार बनने में आसानी होगी। 'मार्केंट एश्युरेंस स्कीम के तहत एमएसपी पर खरीद से राज्य सरकार को होने वाले नुकसान का 40 प्रतिशत की भरपाई की जा सकेगी और पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर के लिए यह राशि 50 प्रतिशत हो सकती है। केंद्र सरकार ने राज्यों से सलाह मशविरा कर इस योजना को तैयार किया है और इसका मकसद किसानों को एमएसपी से नीचे मूल्य पर उत्पाद बेचने से उत्पन्न होने वाले संकट से बचाना है। राज्य सरकारें एमएसपी पर खरीद कर सकेंगी और उससे होने वाले नुकसान की भरपाई इस योजना के तहत की जाएगी। केंद्र सरकार 23 फसलों का एमएसपी तय करती है लेकिन पिछले साल देश में उत्पादित कुल गेहूं और धान में से मात्र 33 प्रतिशत की खरीद एमएसपी पर की गयी थी। इसी तरह से आठ प्रतिशत दलहन और एक प्रतिशत तिलहन की खरीद एमएसपी पर हुयी थी।