जीव दया और आत्मपूजा कहहि कबीर धर्म नहीं दूजा –संत कबीर

विशेष–कबीर जयंती पर शुष्क दिवस, मांस विक्रय प्रतिबंध एवं शासकीय अवकाश
धमतरी। छत्तीसगढ़ संत संगठन के मांग को गंभीरता से लेते हुए संपूर्ण छत्तीसगढ़ में कबीर जयंती पर शुष्क दिवस आदेश, मांस विक्रय प्रतिबंध एवं शासकीय अवकाश के लिए संत श्री रविकर साहेब अध्यक्ष छत्तीसगढ़ संत संगठन सदगुरु कबीर विश्व शांति मिशन की ओर से शासन प्रशासन को धन्यवाद आभार व्यक्त किया है

भारत ही नहीं विश्व के विभिन्न देशों में 22 जून को कबीर साहब की 626वीं जयंती धूमधाम से उत्साह और उल्लास के साथ मनाई जाएगी। जिसमें कबीर साहब के जीवन दर्शन , कृतित्व व्यक्तित्व, चिंतन विचार एवं वर्तमान में कबीर की प्रासंगिकता पर विशेष गोष्ठी का आयोजन गांव कस्बा शहर विद्यालय व विभिन्न सामाजिक आध्यात्मिक संस्थान में किया जाएगा। संत रविकर साहेब ने लोगों से बड़े सद्भाव, शांति सहिष्णुता के साथ कबीर साहब के विचारों को आत्मसात करते हुए अच्छे राह पर चलकर लोगों की सेवा करते हुए अपने जीवन को सफल बनाने का संकल्प लेकर अपने गांव गली में सफाई स्वच्छता अभियान चलाकर, वृक्ष लगाकर, जल जगार अपनाकर, नेत्रदान, देहदान रक्तदान का संकल्प लेकर, साथ ही शाम को अपने घरों में ज्ञान का प्रतीक दीप जलाकर कबीर जयंती मनाने अपील किया है।

कबीर साहब का मूल संदेश जीवो पर दया करना और आत्मा की पूजा करना अर्थात अपने सामान सभी जीवों को मानना। ईश्वर/ अल्लाह को बाहर ना ढूंढकर सभी के अंदर हृदय में विराजमान आत्मतत्व को पहचाना। जैसे तिल में तेल जैसे चमक में आग दूध में घी होता है वैसे ही सभी के अंदर आत्म तत्व है लेकिन अज्ञानता और बुराई के कारण हम आत्म साक्षात्कार नहीं कर पाते। दर्पण जब साफ होता है तो छवि स्वच्छ दिखाई पड़ता है ऐसे ही जब अपने जीवन को काम क्रोध लोग मोह अहंकार और माने हुए मन और शरीर से ऊपर उठकर आत्मतत्व की पहचान कर आत्मस्थ होना, मानव जीवन का परम लक्ष्य है।
कबीर का मूल संदेश ढाई जाकर प्रेम का पढ़े सो पंडित होया को चरितार्थ करते हुए सभी से प्रेम समता का भाव रखते हुए जनहित के लिए जिए , कबीर ने कहा है जो जीते जी मुक्त नहीं हो सकता वह करने के बाद मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकता। कबीर साहब ने कर्म का सिद्धांत को सर्वोपरि मानकर लोगों को अच्छा कर्म करने का संदेश दिया उनका कहना था जो जैसा कर्म करता है उसको वैसे फल की प्राप्ति होती है जैसे कोई व्यक्ति अपने खेत में बबुल का वृक्ष बोता है उसको आम नहीं मिल सकता। इसी तरह से कोई व्यक्ति गलत कर्म करके अच्छे फल सुख शांति प्राप्त नहीं कर सकता। प्रकृति की व्यवस्था के विरुद्ध कोई भी व्यक्ति, किसी भी जाति धर्म संप्रदाय के व्यक्ति, साधु संत कोई भी कार्य करेगा उसका फल उसे निश्चित रूप से मिलेगा। इसलिए अच्छे कार्य करते हुए सभी से प्रेम व्यवहार के साथ जीवन जीना कबीर साहब का मूल संदेश है।

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