धरती आबा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सभी का समन्वित प्रयास अत्यंत आवश्यक- आयुक्त पदुम सिंह एल्मा

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रायपुर। आदिम जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग के तत्वाधान में आज ’धरती आबा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ के बेहतर क्रियान्वयन हेतु वन अधिकार अधिनियम पर फोकस कर कैम्पेन डिजाइन करने हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में एफईएस (फॉउंडेशन फॉर इकॉलाजिकल सिक्योरिटी) एवं यूएनडीपी द्वारा सहयोग प्रदान किया गया। कार्यशाला में कैम्पेन डिजाइन की भूमिका, उसकी रूपरेखा, लक्षित समूह तक प्रभावी पहुंच, बेहतर क्रियान्वयन इत्यादि विषयों पर चर्चा की गई। कार्यशाला में एफईएस एवं यूएनडीपी के अतिरिक्त अन्य संस्थानों के विषय विशेषज्ञ भी सम्मिलित हुए।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के आयुक्त सह संचालक पदुम सिंह एल्मा ने कहा कि धरती आबा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान केन्द्र सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना है, जो कि जनजातियों के संर्वागीण विकास को ध्यान में रखकर बनाई गई है। वन अधिकार अधिनियम इसका एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सभी का समन्वित प्रयास अत्यंत आवश्यक है।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए नमिता मिश्रा (स्टेट हेड, एफईएस) ने Key Stakeholders (प्रमुख हितधारक) कौन हैं इसे विस्तार से समझाया। इसके साथ ही कम्यूनिटी लीडरर्स, मीडिया, सिविल सोसायटी एवं अन्य अशासकीय संस्थाओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इसके अलावा श्री विभोर देव (प्रोजेक्ट ऑफिसर, यूएनडीपी) ने वन अधिकार अधिनियम के प्रभावशाली क्रियान्वयन हेतु कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को विस्तार से समझाया। इसके साथ ही एक प्रश्नोत्तर सेशन भी रखा गया, ताकि उपस्थित प्रतिभागियों की सभी शंकाओं का त्वरित रूप से समाधान हो सके, जिससे वे जमीनी स्तर पर अधिनियम का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित कर सकें।

कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को भिन्न-भिन्न समूहों में विभाजित कर अलग-अलग टॉस्क भी दी गई जिसमें एक टॉस्क विषय आधारित स्लोगन एवं उसका उल्लेख करना था। प्रतिभागियों ने इसमें अलग-अलग स्लोगन लिखे जैसे – ‘‘सामुदायिक वन अधिकार-हमारे जीवन का आधार’’, ‘‘परंपरागत ज्ञान बढ़ाना है जंगल को बचाना है’’, ‘‘जंगल हैं तो हम हैं’’, ‘‘आदिवासियों से धरती सुरक्षित है, जंगल इसका प्रमाण है’’ इत्यादि। साथ ही प्रत्येक समूह द्वारा इसका बेहतर ढंग से उल्लेख भी किया।

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