खेती-किसानी की तैयारियां शुरू, लग रही धान की नर्सरियां
खुर्रा जुताई में भी तेजी आई, कृषि विशेषज्ञों की किसानों को सलाह भी जारी
धमतरी। धमतरी जिले और आसपास के इलाकों में हुई मानसूनी बारिश ने खेती-किसानी की तैयारियां शुरू करा दीं हैं। मानसूनी बारिश से खेतों में बनी नमी नें किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है। समय पर मानसूनी बारिश आ जाने से खेती-किसानी का काम भी सही समय पर शुरू हो गया है।
जिले के कई किसानों ने रोपा पद्धति से धान लगाने के लए खेती में नर्सरी भी डाल दी है। खुर्रा बोनी करने वाले किसान हल-ट्रेक्टरों से तेजी से खेतों की जुताई कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों ने भी किसानों को जरूरी समसामयिक सलाह देते हुए खेतों की साफ-सफाई और मेड़ों की मरम्मत कर खेत तैयार करने को कहा है।
किसानों का कहना है कि इस बार मानसून की शुरुआत सही समय पर हुई है, जिससे उन्हें समय पर खेत तैयार करने का मौका मिल रहा है। धान को नर्सरी भी समय पर डाली जा रही हैं, रोपाई-बोआई के लिए खेत तैयार किए जा रहे हैं। खेतों में ट्रैक्टर से जुताई और मिट्टी को भुरभुरी बनाने का काम लगातार चल रहा है। आगे बारिश होने पर खेतों में बुआई-रोपाई का काम किया जाएगा।
किसानों को इस बार अच्छी फसल की उम्मीद है और वे अधिक से अधिक उन्नत किस्म के बीजों और जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं। जिले में चालू खरीफ मौसम के लिए बीज और खाद की भी कोई कमी नहीं है। लगातार कृषि विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञ किसानों को धान, मक्का, मूंगफल्ली, सोयाबीन जैसी फसलों की खेती के लिए मार्गदर्शन और सलाह भी दे रहे हैं।
कई किसान इस बार परंपरागत तरीकों के साथ-साथ वैज्ञानिक पद्धतियों का भी उपयोग कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों के साथ साथ किसानों का भी मानना है कि यदि बारिश इसी प्रकार नियमित होती रही, तो इस वर्ष धान की बेहतर पैदावार होने की पूरी उम्मीद है। इस बीच कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी गांव-गांव जाकर किसानों को रोपाई से पहले खेत तैयार करने के आधुनिक तरीके बता रहे हैं। बीजोपचार से लेकर प्रमाणित बीजों के उपयोग पर जोर दिया जा रहा है।
डीएपी खाद की कमी होने की स्थिति में एनपीके, यूरिया और पोटाश जैसी खादों को मिलाकर उसकी पूर्ति करने के तरीके भी किसानों को बताए जा रहे हैं। अधिकारियों ने किसानों से अपील की है कि वे समय पर रोपाई करें और प्रमाणित बीजों का प्रयोग कर खेतों से पानी निकालने और पानी बचाने के उपायों पर विशेष ध्यान दें।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि धान का थरहा डालने एवं बोने से पहले खुद के उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल से उपचारित करें। कृषि विशेषज्ञों ने प्रमाणित या आधार बीजों के पैकेटों में दिए गए फफूंदनाशक दवा से बीजोपचार करने की भी सलाह दी है। धान की कतार बोनी करने और कतार बोनी धान में बुआई के तीन दिन के अंदर अंकुरण से पहले अनुशंसित निंदा नाशक का छिड़काव करने की सलाह भी विशेषज्ञों ने किसानों को दी है।
विशेषज्ञों ने बताया कि जल्द और मध्यम अवधि की धान की किस्मों को कतार बोनी से लगाने पर बियासी की आवश्यकता नहीं होती और धान 10-15 दिन पहले पक जाती है। इससे बियासी में होने वाला खर्च और समय बचता है। इस महीने फलदार पौधे लगाने के लिए वर्षा ऋतु में गड्ढे खोदने का काम शुरू कर दें। लौकी-कुम्हड़ा जैसी सब्जी लगाने वाले किसान पॉलीबैग में पौधे तैयार करें और करेला-बरबट्टी लगाने के लिए मेड़-नाली पद्धति से फसल लगाएं।