रायपुर। कोरबा शहर से लगभग 80 किलोमीटर दूर गाँव है बरपानी… इस गाँव में जाने के लिए रास्ते हैं.. छोटे बच्चों के लिए आंगनबाड़ी है… स्कूल में पढ़ने के लिए ठीक ठाक भवन भी है… और यहाँ पढ़ाई करने वाले ज्यादातर बच्चे पहाड़ी कोरवा जनजाति के ही है। शासन ने यहाँ रहने वाले कोरवा जनजाति के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए स्कूल ही नहीं खोले, भवन भी बनाया..लेकिन नियमित शिक्षक नहीं होने का खामियाजा यहाँ पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को वर्षाे से उठाना पड़ता रहा… किसी तरह कुछ शिक्षकों को अटैचमेंट कर अध्यापन का कार्य तो कराया जाता रहा.. लेकिन यह व्यवस्था भी पहाड़ी कोरवाओं विद्यार्थियों के हित की नहीं थीं… आखिरकार मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में शासन ने अतिशेष शिक्षकों को ऐसे शिक्षकविहीन और एकलशिक्षकीय विद्यालयों में नियुक्ति करने की नीति बनाई तो वनांचल में मौजूद इस पहाड़ी कोरवा बाहुल्य गाँव के स्कूल बरपानी के भी भाग खुल गए। इस विद्यालय में अब दो अतिशेष शिक्षक पदस्थ हुए हैं, जो नियमित शिक्षक होंगे। यहाँ प्रधानपाठक के रूप में श्री कमल सिंह कँवर और सहायक शिक्षक के रूप में श्री अक्तिदास मानिकपुरी की नियुक्ति हुई है।
कोरबा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत देवपहरी के आश्रित ग्राम बरपानी में विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवाओं का परिवार निवास करता है। यहाँ रहने वाले पहाड़ी कोरवाओं के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने शासन ने पहल की। डीएमएफ से 2017 में नए भवन भी बनाएं। स्कूल में शिक्षा हेतु शिक्षक की व्यवस्था भी की गई थी। शहर से बहुत दूर वनांचल क्षेत्र में स्कूल होने से यहाँ कोई नियमित शिक्षक नहीं था। राज्य शासन द्वारा अतिशेष शिक्षको के समायोजन के निर्देश जारी होने के बाद जब कोरबा जिले के प्राथमिक शालाओ के अतिशेष शिक्षकों की काउंसिलिंग की गई तो प्राथमिक शाला बरपानी को एक नियमित प्रधानपाठक और एक रेगुलर शिक्षक मिल गया है। अब इस विद्यालय में भी शिक्षक उपलब्ध हो जाने से पहाड़ी कोरवाओं के बच्चों का भी भविष्य उज्ज्वल नजर आने लगा है।
इन गाँव के संपत लाल कोरवा ने बताया कि स्कूल में 25 बच्चे हैं। विगत कई साल से रेगुलर शिक्षक नहीं होने से अध्यापन प्रभावित होता था। बीते शिक्षा सत्र में एक अतिथि महिला शिक्षक कक्षाएं लेती थी। अब खुशी की बात है कि हमारे गाँव के स्कूल को एक प्रधानपाठक और एक नियमित शिक्षक मिल गया है।
गाँव के झुनी बाई, शैम्पूरम कोरवा, बुधवारी बाई ने बताया कि हमारे गाँव के पास स्कूल खुलने के बाद गाँव के बच्चों को स्कूल भेजते हैं। स्कूल में शिक्षक नहीं होने से दूसरे स्कूल के शिक्षको को भेजा जाता है। कई बार बीमारी या दूसरे कारणों से शिक्षक के अवकाश में रहने से समस्याएं आ जाती है। अब हमारे गाँव के स्कूल में शिक्षक मिल जाने से हमारे बच्चों को भी इन शिक्षकों के माध्यम से अच्छी शिक्षा मिलेगी।