मनीष सरवैया वरिष्ठ पत्रकार महासमुंद…. बागबाहरा विकासखंड के ग्राम पंचायत सिर्री पठारीमुंडा में पारंपरिक उल्लास और सांस्कृतिक गरिमा के साथ सुआ नृत्य प्रतियोगिता का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। पठारीमुंडा में आयोजित इस कार्यक्रम में ग्रामीण संस्कृति और लोक परंपरा की झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बागबाहरा जनपद पंचायत अध्यक्ष केशव नायक और राम चंद्राकर रहे। प्रतियोगिता का शुभारंभ ग्राम देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना से किया गया, जिसके पश्चात रंगारंग सुआ नृत्य प्रतियोगिता प्रारंभ हुई।
महासमुंद जिला पंचायत सभापति रवि साहु और जनपद उपाध्यक्ष तरुण व्यवहार एवं पंचायत की सरपंच भानमति संतोष ध्रुव, हेमंत साहू, कौशल साहू सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मंच संचालन में सक्रिय भूमिका निभाई और अतिथियों का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा सुआ नृत्य, जो छत्तीसगढ़ की लोक कला और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक माना जाता है। दीपावली पर्व के अवसर पर महिलाएं समूह में सुआ गीत गाते हुए इस नृत्य को प्रस्तुत करती हैं, जिसमें तोते के माध्यम से प्रेम, प्रकृति और जीवन के विविध रंगों की अभिव्यक्ति होती है। सिर्री पठारीमुंडा की महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में जब सुआ गीत की ताल पर नृत्य किया तो पूरा वातावरण लोक-संवेदना से गूंज उठा।
कार्यक्रम में जय शिव शक्ति महिला समूह की विशेष भूमिका रही। समूह की अध्यक्ष केसरी दीवान, मथुरा बाई दीवान, संतोषी दीवान, गोकुल दीवान सहित सभी सदस्यों ने मंच संचालन और व्यवस्थापन में सहयोग देते हुए आयोजन को सफल बनाया।
इस अवसर पर जनपद उपाध्यक्ष तरुण व्यवहार,जिला पंचायत सदस्य रवि फड़ोदिया, प्रीतम पटेल, नेमीचंद यादव, लक्ष्मण यादव, हरक दीवान, थानसिंह दीवान, परसराम दीवान, टिकेश्वर, कन्हैया एवं केवल पटेल सहित ग्राम के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में अतिथियों द्वारा विजेता दलों को पुरस्कृत किया गया। सुआ नृत्य में प्रतिभागी महिलाओं को सम्मान स्वरूप पारितोषिक एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
वही कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि केशव नायकराम चंद्राकर ने अपने उद्बोधन में कहा
कि – सुआ नृत्य केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, लोक परंपरा और समाज की एकता का प्रतीक है। इस नृत्य के माध्यम से महिलाएं अपनी भावनाओं, प्रकृति के प्रति सम्मान और सामाजिक बंधन को अभिव्यक्त करती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को मंच मिलता है और हमारी परंपरा जीवित रहती है।
श्री नायक ने कहा कि आज के आधुनिक युग में जहां लोक संस्कृतियाँ लुप्त होती जा रही हैं, वहां सिर्री पठारीमुंडा जैसे ग्रामों में इस तरह के आयोजन यह संदेश देते हैं कि हमारी जड़ें कितनी मजबूत हैं। उन्होंने महिला समूहों की सराहना करते हुए कहा कि महिलाएं समाज की सशक्त कड़ी हैं, और उनकी भागीदारी से ही ग्राम विकास संभव है।
उन्होंने आयोजकों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आने वाले समय में जनपद पंचायत स्तर पर भी इस तरह की प्रतियोगिताओं को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक परंपरा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके। कार्यक्रम के समापन अवसर पर ग्रामवासियों ने सामूहिक रूप से लोकगीत गाकर उत्सव का आनंद लिया। क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों, महिला समूहों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।



