विशवनाथ गुप्ता @ धमतरी। धमतरी में अवैध प्लाटिंग रुकने का नाम नहीं ले रहा, फिर दर्जनों पेड़ इस के चक्कर कुर्बान कर दिए गए है। इस तरह सिर्फ रूद्री छेत्र की बात करे तो 500 से ऊपर हरे भरे पेड़ सूली पर चढ़ चुके है वन विभाग भी अपना पल्ला राजस्व विभाग का मामला कह कर झाड़ लेता है।
अभी ताजा मामला कंपोजिट बिल्डिंग के पीछे भूमाफियाओं द्वारा 13 पेड़ जो काफी ऊंचे और हरे भरे थे उन पेड़ो को काट दिया गया लेकिन मसला जो है वो अवैध प्लाटिंग का है जिसकी भेट ये पेड़ चढ़ गए है ऐसे में ये पहेली सुलझा पाना प्रशासन को को शायद मुस्किल लग रहा है की ये हो क्या रहा है। लेकिन जिम्मेदार शख्स की बात की जाए तो क्या परमिशन देने वाले को सामने में चल रहे अवैध प्लाटिंग का नजारा नजर नहीं आ रहा है और अगर आ रहा है तो करवाई शून्य क्यों।
कुछ समय पूर्व प्रशासन द्वारा सीना ठोक कर कहा गया था की भूमाफियाओं पर एफआईआर होगी वो ताल कहा है कितने भूमाफियाओं पर एफआईआर हुई ,जिम्मेदार छेत्र का पटवारी क्या कर रहा है उसने प्रशासन को कितनी दफा अवगत कराया और परमिशन कौन से लिहाज से दिया गया और अगर नही दिया गया तो एफआईआर होगी या नहीं।
अवैध प्लाटिंग मे सिर्फ क्या भूमाफिया संलिप्त है या इसकी दाल एक ही हांडी में बन रही है ये भी देखना चाहिए और उस दाल में कौन कौन अपनी कटोरी भर रहा मीडिया ने इस मामले को उजागर किया जान कर इस पर शायद करवाई करने पर देर न हो लेकिन जो खेल लुका छिपी चल रहा है उसका क्या होगा
रजिस्ट्री प्रतिवेदन बनाते समय क्या मौका देखना जरूरी नहीं है।
रजिस्ट्री करते समय क्या रजिस्ट्रार का मौका देखना जरूरी नहीं है अगर है तो अवैध प्लाटिंग माफियाओं को दुरुस्त करने में इनकी भूमिका भी संदिग्ध नजर आती है।
सिर्फ रजिस्ट्री में रोक लगा देना इसका समाधान नहीं है अगर प्राकृतिक सुंदरता को बचाना है हरे भरे लहलहाते खेत को बचाना है तो एक कड़ा फैसला प्रशासन और शासन को लेना होगा। जो भी जमीन मालिक है अगर उसके खेत में अवैध प्लाटिंग हुई है तो उसके खिलाफ एफआईआर होनी चाहिये ,,चाहे वो किसान के नाम जमीन हो चाहे भूमाफिया के नाम दर्ज हो। तब ही इन हरे भरे लहलहाते खेतो को बचाया जा सकेगा नही तो वो दिन दूर नही जब एक पेड़ देखने के लिए बच्चो को मियुजियम ले जाना पड़ेगा। अब देखना ये है की प्रशासन क्या करवाई करता है।