Mahasamund : हम बालिका वधू नहीं बनने देंगे : आस्था वेलफेयर सोसाइटी

मनीष सरवैया वरिष्ठ पत्रकार महासमुंद। महासमुंद द्वारा बाल विवाह निषेध जागरूकता कार्यक्रम में परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य रूप से सोसाइटी के अध्यक्ष विपिन बिहारी मोहंती पदाधिकारी व सदस्य शामिल हुए जिसमें बाल विवाह निषेध अधिनियम की जानकारी दी गई।

उक्त परीचर्चा में समाज सेवी तारिणी चंद्राकर ने कहा कि बाल विवाह बचपन खत्म कर देता है। बाल विवाह बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी बढ़ता है। मधु तिवारी ने कहा कि 2005 ,2006 से 2015-16 के दौरान 18 साल से पहले शादी करने वाली लड़कियों की संख्या 47% से घटकर 27% रह गई है। भारत में बाल विवाह की कमी की वजह से दुनिया भर में इस प्रथा के चलन में भी गिरावट आई है।

शबनम धनवानी ने बताया कि बाल विवाह समाज की जड़ों तक फैली बुराई लैंगिक असमानता और भेदभाव का ज्वलंत उदाहरण है, यह आर्थिक और सामाजिक ताकतों की परस्पर क्रिया प्रतिक्रिया का परिणाम है। सरिता साहू ने कहा कि बाल विवाह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को गरीबों की ओर धकेलता है। शोभा ने कहा कि बाल विवाह को समाप्त करना समय की मांग है, इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए व्यक्तियों से लेकर विश्व भर के नेताओं तक सभी को पारंपरिक मांन दडों को चुनौती देनी चाहिए। इसके अलावा हमें उन विचारों को हम दूर करना चाहिए जो यह पुष्टि करते हैं कि लड़कियां लड़कों से कमतर है।

परचर्चा के उपरांत समिति व सदस्य ,सहयोगियों की बाल विवाह निगरानी समिति शहर व ग्रामीण स्तर पर बनाया गया जिसमें वे निगरानी कर सकेंगे कि हम बालिका वधू नहीं बनने देंगे परिचर्चा के अंत में बाल विवाह निषेध जागरूकता हेतु शपथ दिलाई गई कार्यक्रम का संचालन प्रतिभा गिरी गोस्वामी एवं आभार लीना कमल द्वारा किया गया। परिचर्चा में चंचल निरंजनना,कामिनी, तुषार, भारती ,आरती ,उमा मोहंती ,सविता ,सुनील श्रीवास्तव वे समिति के समस्त पदाधिकारी सदस्य उपस्थित थे।

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