जिन हाथों से होती थी गड्ढ़ों की खुदाई, अब होती है सिलाई

कोरबा। बस कुछ माह पहले की ही बात है। गरीबी में जीवनयापन करते हुए गांव कुकरीचोली की दुर्गा कंवर ने किसी तरह हायर सेकेण्डरी की परीक्षा तो पास कर ली थी, लेकिन उन्हें अपने घर में आर्थिक सहयोग के लिए आगे की पढ़ाई छोड़ मजदूरी की राह में जाना पड़ा। दुर्गा का सपना था कि वह फैंशन डिजाइन का कुछ काम करें। कपड़े सिलाई करें और कुछ पैसे भी कमा सकें, लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही था। चूंकि पिताजी खेतों में मजदूरी करते हैं, ऐसे में उनकी भी मजबूरी थी कि वह घर में कुछ सहयोग करें। दुर्गा ने भी मजदूरी की। खेतों में काम किया। गड्ढे खोदे और कई निर्माण कार्यों में सिर पर सामानों का बोझ भी ढोया। दुर्गा की जिंदगी ऐसे ही बोझ तले बीत रही थी कि एक दिन उन्हें छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी भत्ता योजना प्रारंभ होने की जानकारी मिली। पहले से ही बारहवीं पास दुर्गा कंवर ने योजना को जानने समझने के बाद अपना आवेदन जमा किया। बेरोजगारी भत्ते के लिए पात्र होने पर जब उन्हें 2500 की राशि मिली तो दुर्गा के लिए जैसे उनके सिर से एक बड़ा बोझ हल्का सा हो गया। उसने बेरोजगारी भत्ते की राशि को अपने जरूरी खर्च के लिए जमा करने और अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए कुछ प्रशिक्षण का भी सोंचा। इसी बीच दुर्गा का चयन जिले के लाइवलीहुड कॉलेज में भी हो गया। उन्होंने इस मौके को हासिल करने में जरा भी देर नहीं की। अब अपने पसंद का ट्रेड चुनने के साथ गांव की दुर्गा ने कपड़ों की सिलाई, फैंशन डिजाइन के कामों को सीखने के साथ अपने ख्वाबों को हकीकत में बदलना भी शुरू कर दिया है।
कोरबा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम कुकरीचोली की दुर्गा कंवर ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बेरोजगार युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ता योजना प्रारंभ करके बहुत सराहनीय कार्य किया है। मैं बारहवीं तक पढ़ाई की हूं। गांव में कुछ काम नहीं मिलने से कभी किसी के खेतों में मजदूरी करती थी, कभी किसी के निर्माणाधीन घरों में काम करती थी। उसने बताया कि बेरोजगारी भत्ता योजना के लिए आवेदन करने के बाद उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि वास्तव में खाते में पैसा आ जाएगा, लेकिन अप्रैल माह के साथ ही 2500 रूपये मिल गए। दुर्गा ने बताया कि उन्हें मई माह की राशि भी खाते में मिल गई है। इस राशि का सदुपयोग कॉपी, डिजाइन बनाने के लिए कपड़े, आवागमन में करती है। उसने बताया कि उसका चयन जिले के लाइवलीहुड कॉलेज में फैशन डिजाइनिंग के लिए भी हो गया है। सिलाई का प्रशिक्षण भी ले रही है। यहां अपनी पसंद का काम सीखने पर खुशी महसूस होने के साथ बेहतर भविष्य की संभावना भी बढ़ गई है। दुर्गा का कहना है कि बेरोजगारी भत्ता योजना से जुड़ने के बाद पहले तो उन्हें आर्थिक मदद मिली, अब अपने पैरों पर खड़ा होने, आत्मनिर्भर बनने के लिए पसंदीदा प्रशिक्षण भी निःशुल्क मिल रहा है।

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