महासमुंद @ मनीष सरवैया। रहने को घर नहीं सारा जहान हमारा है। इस लाइन की महासमुंद जिले में चरितार्थ होते देखा जा रहा है। एक दिव्यांग महिला आवास की मांग को लेकर जिला कलेक्टर सहित तमाम कार्यालय में जहां से आवास के लिए आवेदन दे चुकी है लेकिन अब तक दिव्यांग महिला को निराशा ही हाथ लगी है। राज्य सरकार और केन्द्र सरकार ने आवास योजना के लिए करोड़ों रुपए जारी कर, आवास हीनों को आवास दे रही लेकिन प्रशासनिक सुस्ती और नाकामी की वजह से कमला गंगले को अब तक ना प्रधान मंत्री आवास मिला है ना अटल आवास मिल पाया है।
महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लॉक के ग्राम सपोस की जहां दिव्यांग कमला गंगले अपने पति बहादुर नेपाली के साथ रहती है। दिव्यांग महिला भूमिहीन है। पति बहादुर नेपाली रोजी मजदूरी कर अपना परिवार चलता है। कुछ सालों से कमला गंगले अपने भाई के घर में रहती थी। कमला गंगले ने आवास के लिए जिला कलेक्टर को तीन बार आवेदन दे चुकी है लेकिन अब तक जाओ कार्रवाई नहीं होने से महिला अपने पति के साथ दरदर की ठोकर खाने को मजबूर हो गई है।