भक्तिन माता राजिम के आदर्श सभी समाजों के लिए अनुकरणीय: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर। राजिम शैव और वैष्णव परंपरा का संगम स्थल है। राजिम के इस पवित्र स्थल में ही भगवान श्रीराम ने कुलेश्वर महादेव की स्थापना कर उनकी पूजा-अर्चना की थी। सोन्ढूर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम के कारण यह क्षेत्र पूरे देश में प्रसिद्ध है। राजिम नगरी छत्तीसगढ़ का प्रयागराज के रूप में प्रसिद्ध है। यहां से प्रवाहित होने वाली महानदी पापमोचिनी गंगा कहलाती है। राजिम भक्तिन माता के नाम पर ही राजिम का नाम हुआ है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजिम में साहू समाज द्वारा आयोजित भक्तिन माता राजिम जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए यह बात कही।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह हम सबके लिए गौरव की बात है कि हम आज उस भूमि में एकत्रित हुए हैं जहां भगवान श्रीराम ने माता सीता के साथ अपने चरण रखे। माता सीता ने यहां महादेव की पूजा अर्चना की और रेत से ही कुलेश्वर महादेव को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि राजिम भक्तिन माता ने जिस त्याग और तपस्या का उदाहरण प्रस्तुत किया, उसकी स्मृति साहू समाज संजोये हुए है। राजिम भक्तिन माता की जयंती से सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलता है। साथ ही उनके आदर्शाें पर चलने की प्रेरणा मिलती है। समाज के एकजुट होने से प्रदेश और देश को भी मजबूती मिलती है। उन्होंने इस अवसर पर राजिम में भक्तिन माता की भव्य कांस्य प्रतिमा की स्थापना के लिए 5 करोड़ रूपए की घोषणा की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि साहू समाज प्रगतिशील समाज है। यह समाज खेती किसानी के साथ-साथ व्यापार, उद्योग जगत में आगे बढ़ रहा है। साहू समाज अपनी विरासत को भी संजोये हुए हैं। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास की नीति लेकर 140 करोड़ भारतीयों को अपना परिवार मानकर उनके हित में 18-18 घंटे काम करने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपके समाज का गौरव हैं।

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