धमतरी…. मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने तथा समुदाय स्तर पर सेवाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से जिला स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ़ छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में 17 दिसम्बर को विकासखंड कुरूद एवं मगरलोड के फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए विशेष एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन सिविल अस्पताल कुरूद में दो सत्रों में किया गया।
इस कार्यशाला में मितानिन प्रशिक्षक, विकासखंड समन्वयक, स्वास्थ्य पंचायत समन्वयक, जिला मितानिन समन्वयक सहित कुल 110 प्रतिभागियों ने सहभागिता की। दो चरणों में संचालित इस प्रशिक्षण का उद्देश्य स्वास्थ्यकर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व, इसकी आवश्यकता तथा इससे जुड़े विभिन्न तकनीकी पहलुओं की जानकारी देकर उन्हें समुदाय में बेहतर सेवाएँ प्रदान करने हेतु सक्षम बनाना था।
कार्यशाला में यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के समग्र जीवन का अभिन्न अंग है तथा इसे शारीरिक स्वास्थ्य के समान महत्व दिया जाना आवश्यक है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और दोनों की समुचित देखभाल से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है।
उन्मुखीकरण के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की बुनियादी समझ एवं इसके महत्व, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान के संकेत, मानसिक स्थिति एवं मानसिक रोगों की जानकारी, विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध रेफरल सेवाएँ, टेली-मानस (Tele-MANAS) के प्रति जागरूकता, आत्महत्या रोकथाम में स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका तथा किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण से जुड़े विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यशाला का संचालन जिला स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. यू.एल. कौशिक के मार्गदर्शन में यूनिसेफ़ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में उनकी टीम द्वारा किया गया। इस दौरान जिला कार्यक्रम प्रबंधक प्रिया कँवर, बीएमओ डॉ. हेमराज देवांगन, एनसीडी सलाहकार डॉ. श्रीकांत, बीपीएम रोहित पांडेय एवं मनोज मनिकपुरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
जिला स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ़ ने आशा व्यक्त की कि इस प्रकार के उन्मुखीकरण कार्यक्रमों से स्वास्थ्यकर्मियों की क्षमता में वृद्धि होगी तथा वे समुदाय स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों की पहचान कर ज़रूरतमंद लोगों तक समय पर एवं उपयुक्त सेवाएँ पहुँचाने में प्रभावी भूमिका निभा सकेंगे।



