पेंक्रियाज में मिले कोरोना वायरस से दोगुनी हुई मृत्युदर, एम्स के अध्ययन में खुलासा

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पेंक्रियाज तक पहुंचे कोरोना वायरस ने कई मरीजों न केवल गंभीर किया, बल्कि क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से होने वाली मौत की दर को दोगुने से अधिक बढ़ा दिया। एम्स, दिल्ली में कोरोना काल के दौरान गैस्ट्रोलॉजी विभाग में वेंटिलेटर पर भर्ती हुए 85 गंभीर मरीजों पर एक अध्ययन किया। उपचार के दौरान इन गंभीर मरीजों में से 40 फीसदी से अधिक ने दम तोड़ दिया जबकि सामान्य दिनों में क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से गंभीर मरीजों की होने वाली मृत्यु 20 फीसदी तक ही रहती है। कोरोना वायरस ने मरीजों के शरीर पर गहरा प्रभाव डाला। साथ ही पेंक्रियाज तक पहुंचे वायरस ने मरीजों की स्थिति को और गंभीर बना दिया। 

एम्स द्वारा किए गए अध्ययन के संबंध में गैस्ट्रोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सौम्या जे महापात्रा ने बताया कि कोविड काल के दौरान अस्पताल में गंभीर क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से पीड़ित 85 मरीजों को भर्ती किया गया। इन 85 गंभीर मरीजों में से 36 ने दम तोड़ दिया। जो कुल गंभीर मरीजों का 42.35 फीसदी था। 

पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण 
डॉ. सौम्या ने बताया कि अक्सर पेट में दर्द होना, रक्तचाप कम होना, सांस लेने में दिक्कत होना  पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। यदि किसी मरीज को ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

अस्पतालों में कोविड के 99 फीसदी बेड खाली
दिल्ली में तेजी से घट रहे कोरोना मरीजों के साथ अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या लगातार कम हो रही है। अस्पतालों में कोरोना के 99 फीसदी से अधिक बेड खाली हो चुके हैं। वहीं, अस्पतालों में भर्ती कुल मरीजों में से केवल 6 फीसदी ही गंभीर हैं जो कोरोना के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विभाग के कोरोना एप के अनुसार दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए कुल 9321 बेड उपलब्ध हैं, जिसपर केवल 78 मरीज ही भर्ती हैं। 

इनमें से सबसे ज्यादा एम्स में 11 मरीज भर्ती हैं। जबकि दिल्ली के अधिकतर अस्पताल पूरी तरह से खाली हो गए हैं। लोकनायक में 3, लेडी हार्डिंग में 2, दिल्ली कैंट में 4 मरीज भर्ती हैं। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में से 75 मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की, 24 को आईसीयू बेड की और 5 को वेंटिलेटर के साथ आईसीयू बेड पर भर्ती हैं। विभाग के अनुसार दिल्ली में कोरोना के मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं।

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पेंक्रियाज तक पहुंचे कोरोना वायरस ने कई मरीजों न केवल गंभीर किया, बल्कि क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से होने वाली मौत की दर को दोगुने से अधिक बढ़ा दिया। एम्स, दिल्ली में कोरोना काल के दौरान गैस्ट्रोलॉजी विभाग में वेंटिलेटर पर भर्ती हुए 85 गंभीर मरीजों पर एक अध्ययन किया। उपचार के दौरान इन गंभीर मरीजों में से 40 फीसदी से अधिक ने दम तोड़ दिया जबकि सामान्य दिनों में क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से गंभीर मरीजों की होने वाली मृत्यु 20 फीसदी तक ही रहती है। कोरोना वायरस ने मरीजों के शरीर पर गहरा प्रभाव डाला। साथ ही पेंक्रियाज तक पहुंचे वायरस ने मरीजों की स्थिति को और गंभीर बना दिया। 

एम्स द्वारा किए गए अध्ययन के संबंध में गैस्ट्रोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सौम्या जे महापात्रा ने बताया कि कोविड काल के दौरान अस्पताल में गंभीर क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस से पीड़ित 85 मरीजों को भर्ती किया गया। इन 85 गंभीर मरीजों में से 36 ने दम तोड़ दिया। जो कुल गंभीर मरीजों का 42.35 फीसदी था। 

पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण 

डॉ. सौम्या ने बताया कि अक्सर पेट में दर्द होना, रक्तचाप कम होना, सांस लेने में दिक्कत होना  पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। यदि किसी मरीज को ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

अस्पतालों में कोविड के 99 फीसदी बेड खाली

दिल्ली में तेजी से घट रहे कोरोना मरीजों के साथ अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या लगातार कम हो रही है। अस्पतालों में कोरोना के 99 फीसदी से अधिक बेड खाली हो चुके हैं। वहीं, अस्पतालों में भर्ती कुल मरीजों में से केवल 6 फीसदी ही गंभीर हैं जो कोरोना के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विभाग के कोरोना एप के अनुसार दिल्ली में कोरोना मरीजों के लिए कुल 9321 बेड उपलब्ध हैं, जिसपर केवल 78 मरीज ही भर्ती हैं। 

इनमें से सबसे ज्यादा एम्स में 11 मरीज भर्ती हैं। जबकि दिल्ली के अधिकतर अस्पताल पूरी तरह से खाली हो गए हैं। लोकनायक में 3, लेडी हार्डिंग में 2, दिल्ली कैंट में 4 मरीज भर्ती हैं। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में से 75 मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की, 24 को आईसीयू बेड की और 5 को वेंटिलेटर के साथ आईसीयू बेड पर भर्ती हैं। विभाग के अनुसार दिल्ली में कोरोना के मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं।

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