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राजधानी में जालसाज लगातार फर्जी कॉल सेंटर चलाकर लोगों से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। ज्यादातर कॉल सेंटर किराए के मकान में चल रहे होते हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने किरायेदारों का सत्यापन अनिवार्य कर दिया है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मकान मालिकों को साफ तौर पर निर्देश दिया गया है कि वे अपने किराएदारों का सत्यापन करवाएं। अगर कोई मकान मालिक किराएदारों का सत्यापन नहीं करवाता है तो पुलिस उसके खिलाफ मामला दर्ज करेगी।
सत्यापन करवाने से किराएदार का पूरा ब्यौरा पुलिस को मिल जाता है। गलत मंशा से किराए पर मकान लेने वाला व्यक्ति अगर कोई गलत जानकारी मुहैया करवाता है तो पुलिस उसपर कार्रवाई कर सकती है।
साइबर सेल की जांच में पता चला है कि जालसाज अपने फर्जी कॉल सेंटर चलाने के लिए मकान मालिक को मोटी रकम देकर मकान को किराए पर लेते हैं और अपना सत्यापन कराने से बचते हैं। नियमानुसार मकान मालिकों को किराएदार रखने के एक सप्ताह के अंदर कागजात थाने में जमा करने होते हैं।
सितंबर तक 100 से ज्यादा मामले मिले
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि साइबर सेल ने सितंबर माह तक दिल्ली में चल रहे करीब 100 से अधिक कॉल सेंटर का खुलासा किया है। जिसमें जालसाज लोगों को नौकरी दिलाने, बीमा पॉलिसी पर लाभ देने और सस्ते दाम पर मोबाइल देने का झांसा देकर ठगी करते थे। इसमें से ज्यादातर मामलों में आरोपी किराए पर मकान लेकर फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे।
विस्तार
फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले जालसाजों को बिना सत्यापन किराए पर मकान देने वाले मकान मालिक पर मुकदमा दर्ज होगा। दिल्ली पुलिस मकान मालिक के खिलाफ सरकारी आदेश का उल्लंघन का मामला दर्ज कर कार्रवाई करेगी।
राजधानी में जालसाज लगातार फर्जी कॉल सेंटर चलाकर लोगों से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। ज्यादातर कॉल सेंटर किराए के मकान में चल रहे होते हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस ने किरायेदारों का सत्यापन अनिवार्य कर दिया है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मकान मालिकों को साफ तौर पर निर्देश दिया गया है कि वे अपने किराएदारों का सत्यापन करवाएं। अगर कोई मकान मालिक किराएदारों का सत्यापन नहीं करवाता है तो पुलिस उसके खिलाफ मामला दर्ज करेगी।
सत्यापन करवाने से किराएदार का पूरा ब्यौरा पुलिस को मिल जाता है। गलत मंशा से किराए पर मकान लेने वाला व्यक्ति अगर कोई गलत जानकारी मुहैया करवाता है तो पुलिस उसपर कार्रवाई कर सकती है।
साइबर सेल की जांच में पता चला है कि जालसाज अपने फर्जी कॉल सेंटर चलाने के लिए मकान मालिक को मोटी रकम देकर मकान को किराए पर लेते हैं और अपना सत्यापन कराने से बचते हैं। नियमानुसार मकान मालिकों को किराएदार रखने के एक सप्ताह के अंदर कागजात थाने में जमा करने होते हैं।
सितंबर तक 100 से ज्यादा मामले मिले
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि साइबर सेल ने सितंबर माह तक दिल्ली में चल रहे करीब 100 से अधिक कॉल सेंटर का खुलासा किया है। जिसमें जालसाज लोगों को नौकरी दिलाने, बीमा पॉलिसी पर लाभ देने और सस्ते दाम पर मोबाइल देने का झांसा देकर ठगी करते थे। इसमें से ज्यादातर मामलों में आरोपी किराए पर मकान लेकर फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे।