Dhamtari : हर्बल पार्क के रूप में विकसित होगा बूटीगढ़, कलेक्टर ने कार्ययोजना बनाने दिए निर्देश

धमतरी। मगरलोड विकासखण्ड के सुदूर वनांचल में स्थित बूटीगढ़ पहुंचकर कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने जड़ी-बूटियों के संवर्द्धन और संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी अधिकारियों से ली। कलेक्टर ने इस क्षेत्र को हर्बल पार्क के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव तैयार करने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए।

उन्होंने ग्रामीणों से भी गांव और क्षेत्र के विकास के बारे में चर्चा की। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के पास एक रपटा और चेकडेम निर्माण का काम डीएमएफ मद से स्वीकृत हुआ है, परन्तु अभी तक उसका काम शुरू नहीं हुआ है। कलेक्टर श्री मिश्रा ने इस पर उपस्थित जिला पंचायत सीईओ रोमा श्रीवास्तव को प्रकरण की जानकारी लेकर जल्द से जल्द काम शुरू कराने के निर्देश दिए। श्री मिश्रा ने औषधि पौधों में सिंचाई के लिए सोलर पम्प लगाने का भी प्रस्ताव बनाने को कहा। जिला प्रशासन यहां के किसानों को मेडिशनल प्लांट की खेती करने और यहां के जनजातिय समुदायों को वन सम्पदाओं का संग्रहण कर आजीविका चलाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
मगरलोड क्षेत्र के सघन वनांचल में मौजूद बूटीगढ़ प्राकृतिक दवाखाने के रूप मे प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां आयुर्वेद का खजाना है, चप्पे-चप्पे पर जड़ी बूटियां बिखरी पड़ी हैं। यहां इंसान की हर बीमारी को इलाज किया जा सकता है। ग्रामीणों में यह भी मान्यता है कि बूटीगढ़ के पानी में भी आयुर्वेद के गुण मिले हैं और यहां के पाने से कई तरह के चर्म रोगों का इलाज किया जा सकता है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अतीत में कांकेर रियासत के राजा अपने घायल सैनिकों को इलाज कराने के लिए बूटीगढ़ भेजते थे। ग्रामीणों की मान्यता है कि इस क्षेत्र में वनदेवी की कृपा है। यहां वनदेवी का प्राचीन मंदिर भी है। वनदेवी की कृपा पर भगवान धन्वंतरी यहां कृपा बरसा रहे हैं। इस क्षेत्र में मिलने वाली जड़ी-बूटियां विशेष औषधिय गुण रखती हैं, जिनकी तलाश में देशभर से बैद्य यहां आते हैं।

हर्बल पार्क का बनेगा प्रस्ताव

जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित बूटीगढ़ में कई दुर्लभ और मूल्यवान जड़ी-बूटियां मिलती हैं। कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा ने इस क्षेत्र में मिलने वाली जड़ी बूटियां और उनके उपयोग से इलाज को संरक्षित, सवंर्द्धित करने के लिए अधिकारियों को हर्बल पार्क बनाने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। आयुष विभाग, जिला प्रशासन, वन विभाग से लेकर अन्य शासकीय विभागों के समन्वय से यह प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ.अवध पचौरी बताते हैं कि बूटीगढ़ क्षेत्र में लगभग 160 प्रकार की जड़ी-बूटियों को चिन्हांकित किया गया है। इनमें से कुछ जड़ी-बूटियां तो बेहद मूल्यवान और चिकित्सकीय गुण से भरपूर हैं। जड़ी-बूटियों का उपयोग आयुर्वेद उपचार के लिए चूर्ण या टेबलेट बनाकर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हर्बल पार्क बन जाने से विलुप्तप्राय जड़ी-बूटियों के संवर्द्धन को भी बढ़ावा मिल सकता है। हर्बल पार्क से बूटीगढ़ क्षेत्र में मिलने वाली औषधियों पर शोध कार्य भी संभव हो सकेंगे। बूटीगढ़ में जिला प्रशासन द्वारा आयुष रस शाला भी बनायी जा रही है। इसमें औषधि पौधों के रस-एस्ट्रेक्ट निकालकर उसका इस्तेमाल दवाईयां बनाने और मरीजों के इलाज में किया जा सकेगा। बूटीगढ़ ने जड़ी-बूटियों के खजाने देश-दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति को आज भी जीवित बनाए रखा है और जिला प्रशासन इसके संवर्द्धन के लिए हरसंभव प्रयास करेगा।

Leave a Comment

Notifications