रामप्रिय भरत: पुस्तक का विमोचन

रायपुर। रामायण के पात्रों में मुझे भरतजी सर्वाधिक प्रिय हैं। न तो वे श्रीराम जैसे कोई अवतारी पुरुष हैं और न ही हनुमानजी जैसे चामत्कारिक सिद्धियों से युक्त। इसलिए मुझे लगता है कि “हम तो हैं बिल्कुल भरत के जैसे, हमारे जैसे मेरे भरत जी।”

भरतजी अपने असाधारण गुणों से सेवा, संकल्प एवं समर्पण का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जिससे प्रभावित होकर श्रीराम भी भरतजी की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते नहीं थकते, “भरत सरिस को राम सनेही, जगु जप राम रामु जप जेही॥”

जीवन प्रबंधन के संदर्भ में भरतजी के गुणों की सरल एवं सरस व्याख्या मेरी पुस्तक “रामप्रिय भरत : सेवा, संकल्प एवं समर्पण की प्रतिमूर्ति” में की गई है। इस पुस्तक का विमोचन आज हरिहर आश्रम, हरिद्वार में मेरे गुरुदेव पूज्यपाद स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज के करकमलों से संपन्न हुआ।

यह पुस्तक आप प्रभात प्रकाशन दिल्ली के वेबसाइट या Amazon एवं Flipkart से online मंगा सकते हैं।

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