पारंपरिक खेती छोड़ डच रोज़ की खेती से हो रही मालामाल
रायपुर। आज के समय में पारंपरिक खेती की तुलना में बागवानी या फूलों की खेती किसानों के लिए अधिक मुनाफा देने वाली खेती साबित हो रही है। मुख्य रूप से गुलाब की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ रहा है। गुलाब की मांग पूरे वर्ष बनी रहती है। साथ ही त्योहारों, शादी समारोह व विभिन्न आयोजनों के समय इसकी मांग काफी बढ़ जाती है। धान की पैदावार के लिए पहचान रखने वाले छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा विकासखण्ड की कुमगरी की रहने वाली श्रीमती रजनी कंवर ने गुलाब की खेती करके एक मिसाल कायम की है और दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनी है। रजनी ने विभागीय सहायता से डच रोज़ की खेती शुरू की और आज 30 हजार से अधिक की प्रतिमाह कमाई कर रही हैं। पिछले 5 माह में ही उसे 3 लाख से अधिक रूपए का शुद्ध मुनाफा हुआ है।
रजनी बताती हैं कि वर्तमान समय में किसान को बेमौसम बारिश, तूफान, अतिवृष्टि, सूखा जैसी कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है साथ ही विभिन्न प्रकार के कीटों व बीमारियों से अपनी फसलों की रक्षा करनी पड़ती है। इतनी परेशनियों के बाद भी किसान को अपेक्षाकृत अधिक लाभ नहीं होता। उनके द्वारा पूर्व में भी अपनी जमीन पर धान की फसल उगाया जाता था, जिससे उन्हें अधिक आमदनी नही होती थी। रजनी व उनके पति जय सिंह ने परम्परागत कृषि से अलग आधुनिक खेती कर अपने आय में वृद्धि करने की सोची। इसी दौरान लाभार्थी को नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड द्वारा डच रोज़ की खेती की जानकारी मिली। डच रोज़ कल्टीवेशन से लंबे समय तके होने वाले लाभ की सोच से उन्होंने इसका खेती करने का निश्चय किया और अपने जमीन पर पाली हॉउस तैयार कर गुलाब की खेती प्रारंभ की।
उद्यानिकी विभाग द्वारा उनके हौसले को बढ़ाते हुए समय पर दस्तावेजों की पूर्ति कराई गई एवं नाबार्ड द्वारा 40 लाख का वित्तीय सहयोग प्रदान किया गया। जिसमें उन्हें 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जा रहा है। साथ ही पॉली हाऊस में ड्रिप, बोर, स्टोरेज रूम जैसी सुविधाएं भी प्रदान की गई है। समय समय पर विभाग द्वारा रजनी को आवश्यक मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाता है। रजनी द्वारा फरवरी 2024 में अपने 2600 वर्गमीटर लगभग 65 डिसमिल जमीन पर पॉली हाऊस का निर्माण कराकर डच रोज़ की खेती प्रारंभ की गई। जहां उन्होंने इसकी 22000 पौधे का प्लांटेशन किया।
पॉली हाऊस के अंदर डच रोज़ की खेती करने से पौधों को सीधे सूर्य की रौशनी, बारिश, आंधी से सुरक्षा मिलती है। सूक्ष्म सिंचाई और टपक विधि से कम पानी में गुलाब की खेती में सफलता प्राप्त हो रही है। रजनी द्वारा किए गए गुलाब की खेती को देखने के लिए दूर-दूर से लोग भी आते हैं।