धमतरी। जिले में फसल चक्र परिवर्तन के तहत् रबी वर्ष 2024-25 में दलहन, तिलहन फसलो की खेती वृहद रकबा में की जा रही है। मौसम में आकस्मिक बदलाव के कारण दलहन, तिलहन फसलों में कीट प्रकोप के लक्षण दिखाई दे रहे है। चना एवं मसूर के पौधों में इल्ली कोट से तना एव पत्तियों को कुतरने से पौध विकसित नहीं हो पाता है। इसके मद्देनजर उप संचालक कृषि श्री मोनेश साहू ने जिले के किसानों को सम-सामयिक सलाह दी है। उन्होंने बताया कि किसान फसलों के सतत् रूप से निगरानी करें एवं खेत के मेड़ों पर चिड़ियों के बैठने के लिए टी आकार के खुटें लगाये। जैविक विधि से इंल्लियों के रोकथाम के लिए एक लीटर आग्नेय आस्त्र की मात्रा को 10 लीटर पानी में घोलकर सुबह एवं शामं के समय छिड़काव करें।
आग्नेय आस्त्र बनाने की विधि के बारे में उप संचालक बताया कि 20 ली. गोमूत्र में 5 किग्रा. नीम की पत्ती, 250 ग्राम लहसुन, 500 ग्राम तीखी मिर्च, 500 ग्राम अदरक एवं 500 ग्राम तम्बाखू को अच्छी तरह पीसकर बड़े बर्तन में मिला ले एवं मिश्रण को तब तक उबाले जब तक एक तिहाई न हो जाये। उसके बाद छलनी या सूती कपड़े से छानकर छः माह तक प्रयोग की जा सकती है। चना फसल में उकठा फसल की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजाईम एवं मेनकोजेब 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पौधों पर छिड़काव करें। इसी तरह गेहूँ की फसल में इल्ली एवं रस चुसक कीटों से बचाव के लिए जैविक विधि से इल्लियों की रोकथाम हेतु आग्नेय आस्त्र की 01 लीटर मात्रा को 10 लीटर पानी में मिलाकर सुबह एवं शाम छिड़काव करें। साथ ही तनाछेदक के प्रकोप हेतु क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल 18.50 प्रतिशत ए.सी. को 60 मिली./हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
तिलहनी फसल सरसों में मुख्यतः मैनी कीट का प्रकोप ज्यादा होता है, जिसके नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. को 350 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से छड़काव करें। जैविक विधि से इल्लियों की रोकथाम के लिए आग्नेय आस्त्र की 01 लीटर मात्रा को 10 लीटर पानी में मिलाकर सुबह एवं शाम के समय छिड़काव करें। इसी तरह दलहनी तिवड़ा फसल में इल्ली एवं रस चुसक कीटों की रोकथाम के लिए आग्नेय आस्त्र की 01 लीटर मात्रा को 10 लीटर पानी में मिलाकर सुबह एवं सायं के समय छिड़काव करें। रासायनिक विधि से फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी को 350 मिली. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। उप संचालक ने किसान भाईयों से अपील की है कि वे फसलों में कीट प्रबंधों की रोकथाम हेतु नजदीकी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क कर सम-सामयिक सलाह प्राप्त कर सकते हैं।
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