रायपुर। मोर आवास-मोर अधिकार एक आंदोलन चला था जब पिछली सरकार थी। पुरानी सरकार के मुखिया ने अपने पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री के कहने के बावजूद पीएम आवास की धनराशि आवंटित नहीं की। हमारे प्रधानमंत्री ने पीएम आवास योजना की राशि भेजी लेकिन वो राशि राज्य सरकार ने खर्च नहीं की और इसका परिणाम ये हुआ कि लाखों पात्र हितग्राही लाभ से वंचित रह गए और गरीब को घर न देना एक पाप था। उस समय भाजपा ने संघर्ष किया और वचन दिया था कि हमारी सरकार बनती है तो सभी हितग्राहियों को आवास देगी। आज मेरे मन में संतोष है कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की जनता से किया वादा हमने निभाया।
हमने 8.47 लाख आवास आवंटित किये। फिर और मकान की आवश्यकता पड़ी तो 3.03 लाख मकान हमने दुर्ग के कार्यक्रम में दिया। 2018 की आवास प्लस की सूची में अब केवल 3 लाख 767 हितग्राही बचे थे। आज मैं बचे हुए मकान की स्वीकृति का पत्र सौंपूंगा। इसके बाद कोई हितग्राही नहीं बचेगा। हम जो कहते हैं वो करते हैं। छत्तीसगढ़ की सरकार को बधाई दूंगा, तेजी से यहाँ मकान बनाए जा रहे हैं। पीएम जनमन के अंतर्गत 32 हजार मकान इसके अलावा और आवंटित किये गए हैं। 5 अत्यंत पिछड़ी जनजाति हैं, और भी कोई हितग्राही रह गया होगा, तो भारत सरकार के पास छत्तीसगढ़ के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है।
नक्सल प्रभावित परिवार का सूची में नाम नहीं है। जो आत्मसमर्पित साथी हैं, उनके लिए भी हमने 15 हजार मकान आवंटित किये हैं, उनका निर्माण प्रारंभ हो गया है। पुरानी सरकार ने एक मुख्यमंत्री आवास योजना बनाई थी, जिसके आवास पूरे नहीं हुए। वो मकान भी अब पूरे हो रहे हैं। हमने नया सर्वे फिर चालू कर दिया है। जो वंचित रह गए उनको वंचित नहीं रहने देंगे। जो संख्या आ रही है उसका फिजिकल वेरीफिकेशन कर के उनको मकान देंगे। मनरेगा के अंतर्गत पिछले साल 3 हजार 355 करोड़ रुपये छत्तीसगढ़ को मिले थे। लेबर बजट को इस बार फिर से रिवाइज किया जाएगा ताकि मकान बनाने के लिए जो हम मनरेगा की राशि देते हैं वो भी पर्याप्त सरकार के पास रहे।