धमतरी…. पुलिस अधीक्षक धमतरी सूरज सिंह परिहार के स्पष्ट निर्देशों के तहत जिले में तेजी से बढ़ रहे सायबर फ्रॉड एवं ऑनलाइन वित्तीय अपराधों की रोकथाम हेतु धमतरी पुलिस द्वारा एक महत्वपूर्ण, सुनियोजित एवं दूरगामी पहल की गई।
इसी क्रम में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक धमतरी मणिशंकर चन्द्रा एवं नगर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) धमतरी अभिषेक चतुर्वेदी के नेतृत्व में जिले के समस्त राष्ट्रीयकृत, निजी एवं सहकारी बैंकों के शाखा प्रबंधकों की विशेष जागरूकता एवं समन्वय बैठक आयोजित की गई।
बैठक के दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा बैंक प्रबंधकों को वर्तमान में प्रचलित सायबर अपराधों के नवीनतम एवं उभरते तरीकों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
विशेष रूप से फर्जी कॉल, डिजिटल अरेस्ट, केवाईसी अपडेट के नाम पर ठगी, फिशिंग लिंक, फर्जी मोबाइल एप्लीकेशन, सोशल मीडिया के माध्यम से धोखाधड़ी, ओटीपी एवं बैंक विवरण साझा कराने जैसी घटनाओं पर गहन चर्चा की गई।बैठक के दौरान सायबर अपराधों की प्रभावी रोकथाम हेतु बैंक प्रबंधकों को निम्नलिखित महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य निर्देश दिए गए.
बैंक में आगंतुकों का रिकॉर्ड संधारण
सभी बैंक शाखाओं को निर्देशित किया गया कि बैंक में आने-जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहचान एवं उद्देश्य सहित रजिस्टर में अनिवार्य प्रविष्टि की जाए, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर समय रहते निगरानी संभव हो सके।
संदिग्ध ट्रांजैक्शन की त्वरित सूचना
किसी भी खाते में असामान्य, अत्यधिक अथवा संदिग्ध लेन-देन पाए जाने पर बिना विलंब तत्काल पुलिस एवं सायबर सेल को सूचित करना अनिवार्य बताया गया, जिससे संभावित सायबर फ्रॉड को प्रारंभिक स्तर पर ही रोका जा सके।
म्यूल अकाउंट्स (Mule Accounts) पर सख्त निगरानी
सायबर अपराधों में प्रयुक्त होने वाले म्यूल अकाउंट्स की पहचान कर उनकी जानकारी तत्काल पुलिस से साझा करने के निर्देश दिए गए। ऐसे खातों के लेन-देन पैटर्न एवं संबंधित व्यक्तियों पर विशेष सतर्कता बरतने पर जोर दिया गया।
जन-धन खातों के दुरुपयोग पर विशेष ध्यान
जन-धन खातों के माध्यम से हो रहे सायबर अपराधों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए निर्देशित किया गया कि ऐसे खातों की नियमित समीक्षा, संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी तथा वास्तविक खाताधारकों को जागरूक किया जाए, ताकि खातों के दुरुपयोग को रोका जा सके।
ग्राहकों के निजी डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश
बैंक प्रबंधकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि किसी भी परिस्थिति में ग्राहकों का निजी, वित्तीय अथवा केवाईसी संबंधी डेटा लीक न हो।
इसके लिए आंतरिक सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने, डेटा एक्सेस नियंत्रण, स्टाफ की जवाबदेही एवं गोपनीयता मानकों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया गया।
बैठक में बैंक प्रबंधकों को यह भी निर्देशित किया गया कि वे अपनी-अपनी शाखाओं में कार्यरत कर्मचारियों को सायबर सुरक्षा के प्रति नियमित रूप से प्रशिक्षित करें तथा ग्राहकों को सुरक्षित लेन-देन हेतु निरंतर जागरूक अभियान चलाएं।
यह भी स्पष्ट किया गया कि सायबर फ्रॉड की स्थिति में समय सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है।
पीड़ित द्वारा तत्काल सायबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना देने अथवा नजदीकी पुलिस थाना/सायबर सेल से संपर्क करने पर धोखाधड़ी की राशि को होल्ड अथवा रिकवर किए जाने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं सीएसपी धमतरी ने बैंक अधिकारियों से अपील की कि किसी भी संदिग्ध लेन-देन, फर्जी खातों अथवा असामान्य गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को उपलब्ध कराएं, ताकि सायबर अपराधियों के विरुद्ध त्वरित एवं प्रभावी वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।
धमतरी पुलिस द्वारा यह भी रेखांकित किया गया कि पुलिस, बैंक एवं आम नागरिकों के बीच बेहतर समन्वय, सतत संवाद एवं साझा जिम्मेदारी के माध्यम से ही सायबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण संभव है।
इस जागरूकता कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जिले में वित्तीय सुरक्षा को सुदृढ़ करना, सायबर अपराधों पर समय रहते अंकुश लगाना तथा आम नागरिकों में सुरक्षा एवं विश्वास की भावना को मजबूत करना है।
धमतरी पुलिस भविष्य में भी इसी प्रकार के जागरूकता एवं समन्वयात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से सायबर अपराधों के विरुद्ध सख्त एवं सतत कार्यवाही जारी रखेगी।



