घुरावड मवेशी बाजार से जो जानवर किसी काम के नहीं वह जानवर भी आते हैं इस बाजार में बिकने , और बिक भी जाते हैं आखिर इन जानवरों को खरीद कर ले जाने वाले करते क्या है, पढ़िए

नगरी @ प्रदीप साहू। धमतरी जिले के अंतिम छोर नगरी ब्लाक के ग्राम पंचायत घुरावड में चल रहे गोवंश बाजार नगरी ब्लाक के अंतिम छोर पर बसे घुरावड में गोवंश बाजार लगाना ही बहुत बड़ा शक को जन्म देता है क्योंकि उसके बाद कुछ दूर में उड़ीसा बॉर्डर लग जाता है उड़ीसा बॉर्डर पार करके गोवंश को उड़ीसा के कत्लखाना ले जाया जाता है जहां काफी महंगे दामों में बेचा जाता है जो गोवंश किसानों के किसी काम में नहीं आता है वह सबसे बड़ी बात किसानों के काम में आने वाले बैल गाय की खरीदी बिक्री अगर की जाती है तो समझ आता है मगर इस बाजार में देखने से ऐसे बहुत सारे जानवर दिखे जो किसानों के किसी काम के नहीं ना गाय दूध देने योग्य बैल हल खींचने योग्य है इस तरह के जानवरों को इस बाजार में बेचना लिए लाया जाता है इससे साफ जाहिर होता है कि बैल बाजार की आड़ में क़त्ल खाना ले जाने के लिए ऐसे जानवरों को भी यहां पर उपलब्ध कराया जाता है कुछ लोगों का कहना है कि यहां 8 से 9 पिकअप बेरहमी से जानवरों को भरकर लाते हैं जिसमें कुछ जानवर तो अपने पैरों से चलने होने के लायक भी नहीं रहते हैं जिनकी भी बिक्री इस बाजार में हो जाती है और कुछ जानवर तो आते हैं जिसे जहां पर बाजार लगाया जाता है और चल नही सकते हैं वही बाजार मे गोवंश के दारा छोड दिया जाता है कुछ दिन तडप तडप मर जाते है उसके बाद वहीं से कुछ दूर में डाल दिया जाता है कुछ लोगों का कहना है कि आखिर कर उड़ीसा बॉर्डर के पास अंतिम गांव में ही बैल बाजार लगाने की क्या मंशा है कहीं ठेकेदार को फायदा पहुंचाना और बड़ी तादाद में गोवंश को उड़ीसा ले जाकर उनकी हत्या करवाना जो काम के नहीं है जानवर वह भी वहां आते हैं बिक्री के लिए आखिर कौन खरीदता है ऐसे जानवर को उस बाजार में घूमते हुए कैमरे में ऐसे जानवरों को कैद किया गया जिनके शरीर में पूरे हड्डी दिख रहे हैं ना वहां जानवर दूध दे सकता है और ना वहां जानवर हल चलाने योग्य नजर आता है उसके बाद भी ऐसे जानवरों को इस बाजार में बेचने लाया जाता है और इसकी बिक्री हाथों हाथ हो भी जाती है कुछ अच्छे जानवरों की आड़ में जानवर के दलाल सस्ते दामों में ऐसे जानवरों को खरीद कर उड़ीसा बॉर्डर ले जाते हैं और कत्लखाना में काफी महंगे दामों पर बेच दिया जाता है
जानवरों के परिवहन के लिए भी बहुत सारे कड़े नियम शासन प्रशासन द्वारा बनाए गए हैं जिसकी भी अनदेखी शायद की जाती है क्या इनको शासन प्रशासन से छूट दी गई है एक छोटी सी गाड़ी में इतने सारे जानवर उसके भर दिए जाते हैं की बाजार आते तक कई जानवरों की तो मौत हो जाती है आखिर इसके जिम्मेदार कौन क्या देगी शासन प्रशासन इस पर ध्यान
यहां गांव सिहावा विधानसभा के विधायक का ग्रह ग्राम क्षेत्र कहलाता है जहां लगता है इस क्षेत्र में सबसे बड़ा मवेशी बाजार जहां पर जानवरों के ऊपर अमानवीय व्यवहार देखने को मिलता है जानवर के दलाल इस तरह से जानवरों के ऊपर में डंडा चलाते हैं जैसे शायद उस जानवर में जीव ही ना हो उसे दर्द ही नहीं होता है और यहां का बाजार की नीलामी पंचायत द्वारा 30 लाख रुपए में बाजार के ठेकेदारों को दी गई जो शायद ध्यान भी नहीं देते हैं कि बाजार में बिकने वाले जानवरों की उम्र कितनी है शासन के अनुसार एक उम्र का भी बंधन है बाजार में बिकिनी करने का आखिर इनकी अनदेखी क्यों की जाती है और रही बात जो जानवर बाजार में मरने की स्थिति में रहते हैं उनको वहीं छोड़कर क्यों चले जाते हैं किए ठेकेदार और कुछ नियम की बात करें तो वहां डॉक्टर भी उपस्थित रहना चाहिए मगर डॉक्टर भी उपस्थित नहीं रहते मरे हुए जानवरों को इस तरह से छोड़ दिया जाता है जिसे देख शरीर में कंपन आना चालू हो जाएगा क्या बाजार में इस तरह के अमानवीय व्यवहार करने के लिए छूट दिया जाता है या कुछ नियम और शर्तों के साथ बाजार का ठेका दिया जाता है
अब शायद गौ रक्षक भी थक गए हैं गोवंश को बचाते बचाते क्योंकि शासन प्रशासन का सहयोग नहीं मिलने के चलते जिसका फायदा गोवंश को कत्लखाना ले जाने वाले दलाल उठा रहे हैं और भारी संख्या में छत्तीसगढ़ के इस बाजार से आसानी से कुछ गांव पार कर उड़ीसा बॉर्डर में ले जाने में सफल हो जाते हैं

इस संबंध में कुछ लोगों से चर्चा करने पर उन लोगों ने कहा कि वास्तव में ऐसे बाजार ओं को बंद करना चाहिए जिसमें गौ हत्या के लिए खुले रूप से बाजार से जानवर लेकर जाते हैं पहले भी बजारे लगती थी सप्ताहिक बाजारों में जहां जरूरत के जानवर आते थे और क्षेत्रीय लोग खरीद के अपने घर ले जाते थे मगर आज गौ तस्कर ही ऐसे बाजारों में नजर आते हैं
मुख्यमंत्री का मुख योजना जो नरवा गरवा घुरवा बाड़ी बचाने का मुख्य उद्देश्य है जो चल रहा है नगरी ब्लाक के ग्राम पंचायत घुरावड में नही दिखाई दे रहा है
एक तरफ सरकार गोवंश को बचाने के लिए गौठान के रूप में लाखों रुपए खर्च कर रही है वही सरकार गौ हत्या रोकने के लिए भी लाखों खर्चा कर रही है क्या सिर्फ यहां नारा तक ही सीमित है कि उसका वंश को बचाने के लिए इस बाजार के ऊपर कार्रवाई की जाएगी

क्या वास्तव में इस बाजार को लगाने के लिए कलेक्टर से परमिशन ली गई क्या कलेक्टर ने परमिशन दी है
इस संबंध में पंचायत के सरपंच से फोन पर चर्चा करने पर पंचायत के सचिव के पास परमिशन व बाजार की नीलामी वह कागज पेपर उसके पास है कहां गया हुई आगले बाजार सभी कागज उपलब्ध कराने की बात कही गई।
अनुविभागीय अधिकारी गीता रायस्क ने कहा जांच कर ग्राम पंचायत घुरावड मवेशी बाजार लगाने के संबंध में जांच प्रतिवेदन बनाकर जिला अधिकारियों को भेजा गया मगर वहां से अभी तक कोई कार्यवाही के लिए विभाग को जांच प्रतिवेदन नहीं आए है
पशु चिकित्सा विभाग से इस संबंध में जानकारी मे कहा कि हमारे स्टाप कर्मचारी दौरान कर देख रेख करते हैं यहां पर पशु की खरीदी बिक्री का कोई उम्र की सीमा नहीं है पशु को चलते हुए झुठ के झुठ ले जा सकते हैं कहां गया।
ठेकेदार सिन्हा करके है
और रसीद कोई दूसरा काट रहा है

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