
कुरूद…. महापुरुषों के वचनों को हमें आज याद करने की जरूरत है ।हर युग में शिक्षा से ही क्रांति आई है, आज जिस तरह हमारा समाज मानसिक तौर पर गुलाम है इसकी आजादी के लिए शिक्षा की आवश्यकता है। महापुरुषों के विचारों से ही हमें प्रेरणा मिल सकती है। मानसिक गुलामी से आजादी हमें शिक्षा से ही मिल सकती है.
क्षेत्र के विधायक पूर्व कैबिनेट मंत्री अजय चंद्राकर ने आगे कहा कि अक्सर मेरा आदिवासी समाज के बीच आना जाना होते रहता है। 25 साल पहले क्षेत्र की कुरुद क्षेत्र की यहां कॉलेज खुल गया। पर बहुत लोग तो शिक्षित हो गए ,कुरुद कालेज से पढ़कर मगरलोड ,सिलौटी, कुरूद , भखारा, में कॉलेज खुल गया ।इस वर्ष सिर्री कॉलेज खुलेगा ।लेकिन आजकल बीए,एमए की पढ़ाई की उतनी मानयता नहीं है। उन्होंने कहा कि जितने पांच कॉलेज मैंने आपको बताएं हैं ये सब तकनीकी ही है। आदिवासी समाज के बच्चे यदि वे काम के इच्छा रखते हैं, पढ़ने की इच्छा रखते हैं। तो 10 मिनट के रास्ते में कुरूद विधानसभा में सारी शिक्षा उपलब्ध है।
कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि आर एन ध्रुव ने कहा कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है ।जिसे जो पियेगा वह दहाड़ेगा. इसीलिए हमें समय के साथ शिक्षा ग्रहण करने की जरूरत है ।तब हमारा समाज अन्य समाज के समानांतर खड़ा हो सकता है। आजादी से पहले आदिवासी समाज राजा थे। और अनेक गोंडवाना स्कूल चल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हम लोग पढ़ाई लिखाई में पीछे हो गए हैं। आप लोग एक कौर कम खाइये लेकिन अपने बेटी बेटा को जरूर पढ़ाइये.एक बात और है कि हमारा समाज स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं है ।ज्यादा मृत्यु दर आदिवासी समाज की है। इस कारण हमें शराब से दूरी बनानी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि किसी भी मुसीबत से केवल हमें संविधान ही बचा सकता है। इसीलिए धार्मिक आडंबरों का परित्याग करके तर्कशील बनना होगा। आदिवासी धुव्र समाज परिषद कुरूद के द्वारा ग्राम कुहकुहा में आयोजित समाज के वार्षिक सम्मेलन में बोल रहे थे. अतिथियों ने आदि देव बुढ़ा देव की पूजा अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की तत्पश्चात अतिथियों का फूल मालाओं से स्वागत किया गया.
कार्यक्रम को से नीलकंठ टेकाम विधायक केशकाल ,देवेंद्र दीवान अध्यक्ष कंवर पैकरा समाज भिलाई दुर्ग , नेहरू निषाद अध्यक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग छत्तीसगढ़, ललित ठाकुर अध्यक्ष गोड़ समाज तहसील कुरुद, सहित समाज के पदाधिकारीयों ने भी सभा को बारी,बारी से संबोधित किया।
अतिथियों ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की त्याग और बलिदान की चर्चा की और लोगों को अपनी संवैधानिक अधिकार के प्रति जागरूक किया. कार्यक्रम की शुरुआत गोड़ समाज के परंपरा अनुसार गाजे,बाजे आदिवासी वेशभूषा में गोंडी नत्य के साथ ग्राम की गलियों में समाज की महिलाओं द्वारा कलश यात्रा निकालकर कार्यक्रम स्थल पहुंचे जहां विधिवत पूजा अर्चना के बाद कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम का मंच संचालन फलेंद्र नेताम किया।
इस अवसर पर संतोष सोरी,तेजराम छेदैया, राधेश्याम मांडवी, पोखराज नेताम, झागेश्वर ध्रुव घनश्याम कुंजाम ,दीपक सोरी, बोधन छैदैया, भरोसा पड़ोसी, जन्मेजय ध्रुव , गायत्री मांडवी, राजकुमारी छेदैया, किरण छेदैया, सुरेंद्र ध्रुव, झम्मन छेदैया, संतोषी छेदैया, मेंहतरीन बाई, ध्रुव, ममता छेदैया, जागेश्वर ध्रुव, सहित सैकड़ो महिला, पुरुष, बच्चे, समाज के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे ।