नशेबाज खबरदार क्यों की महिला कमांडो है पहरेदार

धमतरी @ विश्वनाथ गुप्ता। धमतरी के इतवारी बाजार में कुछ दिन पूर्व हुए हत्याकांड ने धमतरी पुलिस कप्तान को नशेबाजो और गंजेडियो से निपटने के लिए मातृ शक्ति को जिम्मा सौंपाना जायज लगा है क्योंकि इतिहास गवाह है जब जब अत्याचार बड़ा है नारी को ही दुर्गा काली का रूप लेना पड़ा है चाहे वो डगर कोई भी हो।
ऐसे ही धमतरी महिला कमांडो पर एसपी ने एक बार फिर भरोसा जताया है की बिगड़ैल बच्चे जब हद पार करने लगे तो मां का डंडा ही उन्हें दुरुस्त कर सकता है। अब बात करे धमतरी महिला कमांडो टीम की तो कुछ 8 साल पहले भी नशेबाजों और रोड छाप गुंडागर्दी को पहले भी दुरुस्त करने में कामयाब रही है। लेकिन 8 साल पहले की और अभी की परिस्थिति में जमीन और आसमान का फर्क आ चुका है धमतरी में हत्या का ग्राफ सिर्फ 4 से 5 सालो में बड़ा है यह शहर पहले सौहाद्र और मिलनसार हुआ करता था लेकिन अब की स्थिति नए नशों और बच्चो पर मां बाप की लगाम का न होना है साथ ही जो नाबालिक सबसे ज्यादा इन अपराधो पर शामिल है उनका स्कूलों में सही उपचार नही होना है क्योंकि बिना ठुकाई के कोई भी पत्थर मूर्ति नही बन सकती। इसी तरह इन जैसे अपराधियों को सुधारने के लिए महिला कमांडो के हाथो में सिर्फ डंडे का होना ही काफी नहीं है बल्कि नए परिस्थिति के साथ इलेक्ट्रिक करेंट स्टिक जैसे नए डंडों का होना भी अति आवश्यक है जिससे ये अपराधी तो दुरुस्त होंगे है रात्रि में महिला कमांडो टीम भी मजबूती से काम कर पायेगी।
साथ ही दवाई माफिया जो इतने कड़े अल्टीमेटम के बावजूद नही सुधार कर पा रहे उनको भी काम चलाऊ ड्रग कंट्रोलर टीम को दुरुस्त होंना पड़ेगा ,,क्योंकि अगर शहर में नशे की नीली ,गुलाबी ,सफेद गोलियां बिक रही है तो कोई तो माध्यम होगा ,कोई तो सेलर महा सेलर होगा।

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