काय बर बने हे सायबर सेल, आने हे बुता आने हे खेल

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धमतरी @ संदेश गुप्ता। धमतरी में सायबर सेल टॉप पर है। सभी थानों से तेज नेटवर्क इन्ही का है। हत्याओं के आरोपी से लेकर तेल टीपा के चोरी के आरोपी को पकड़ने में ये कामयाब है, लेकिन इनपर कड़ी कार्रवाई लायक सबूत जुटा पाना शायद इनके बस का नही है। तभी तो ये आदतन अपराधी जेल जाने के कुछ ही दिनों बाद शहर में फिर वारदात करते नजर आते हैं, जिनको मय सबूत पकड़ा गया, जिनके खिलाफ पुख्ता सबूत होने का ये दावा करते है, उसके बाद भी ये अपराधी बाहर क्यों ?
क्योंकि जो गवाह होते है वो लगभग ललन बटे नौ ने पौ होते है। मतलब सीधी भाषा में कहे तो फेक होते है, जिन्हे अपराधियों का हुलिया तो छोड़िए अपराध की तारीख तक याद नही होती। तो क्या वो चश्मदित गवाह बन पाएंगे। पुलिस के लिए सबसे अहम काम यही होता है गवाह जुगाड़ना जो विवेचक अपना काम रफा दफा करने के लिए किसी भी पुराने छोटे छोटे अपराध करने वाले जुआरी इनको बना देते है इसका नतीजा ऐसे आदतन अपराधी अपने आप को डॉन समझ रोज वारदात करने से नही चूकते।
हालांकि नए कानून बनने से अब इन जैसे अपराधियों का बच पाना मुश्किल तो लग रहा है क्यों की वीडियो फुटेज अब प्रमुख रोल अदा करेगा …लेकिन वो तो कैमरे के चालू होने की स्थिति पर निर्भर करता है।

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