mahasamund : हाईकोर्ट और कलेक्टर के आदेश का नहीं हो रहा है पालन

महासमुंद @ मनीष सरवैया । महासमुंद जिले में न्यायालय और जिला कलेक्टर के आदेश को ठेंगा दिखाने का काम किया जा रहा जिम्मेदारी सिर्फ कागजों में तय दिख रही है। धरातल में सिर्फ लापरवाही नजर आ रही है।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने 29 अगस्त को समय सीमा की बैठक में यह आदेश किया था कि सड़क में बैठे आवारा पशुओं को हटाया जाए। कलेक्टर इसका पालन कड़ाई से करने के निर्देश दिए थे। लेकिन दुर्भाग्य इस बात का हैं कि कलेक्ट्रेट रोड में ही रोजाना दिन और रात सैकड़ों मवेशी बीच सड़क पर बैठे रहते हैं। कलेक्ट्रेट सड़क की बात तो छोड़िए कलेक्टर बंगले के सामने भी आपकी बीच सड़क में मवेशियों का जमावड़ा दिखेगा।
9 सितम्बर की सुबह नेशनल हाईवे 53 झलप तोरला पड़ाव पास एक अज्ञात वाहन ने 10 मवेशियों को कुचल दिया। जिसमें 6 मवेशियों की घटना स्थल पर ही मौत हो चुकी थी। कलेक्टर ने विगत समय सीमा की बैठक में राष्ट्रीय राजमार्ग और सड़कों पर मवेशियों के जमवाड़ा को रोकने के लिए ग्राम पंचायत एवं नगरीय निकायों को जिम्मेदारी दिए थे। राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरने वाले ग्राम पंचायतों के द्वारा नामजद ड्यूटी लगाकर पेट्रोलिंग करने भी कहा गया था। मवेशियों के सड़क में रहने के कारण दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। माननीय हाई कोर्ट के निर्देशानुसार ग्राम पंचायत और नगरीय निकायों की जिम्मेदारी तय की गयी है, इसे गंभीरता से लेते हुए पेट्रोलिंग सुनिश्चित करने कहा गया था। साथ ही उन्होंने कहा कि आवारा घूम रहे मवेशियों पर रेडियम और पट्टी लगाने कहा गया था। लेकिन महासमुंद के सड़कों पर खास कर कलेक्ट्रेट रोड में सारे आदेश निर्देष की धज्जियां उड़ाते दिख रही है। जबकि उसी रोड से पूरे जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सारे अधिकारियों कर्मचारियों का आना जाना रोज हो रहा है।

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