जल संचयन के पारम्परिक तरीकों और तकनीक के उपयोग पर जोर
धमतरी। अंतराष्ट्रीय जल सम्मेलन के द्वितीय दिवस आज विषय विशेषज्ञों ने टिकाऊ क़ृषि और जल संचयन के संबंध में सार्थक चर्चा की । देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे वक्ताओं ने जल और उसकी उपयोगिता पर अपने विचार साझा किये। आज सुबह उद्घाटन सत्र में डॉ मनोज, पी समुअल ने टिकाऊ जल प्रबंधन रणनीति और मौसम स्मार्ट क़ृषि पर अपने विचार रखे । उन्होंने केरला में जल प्रबंधन की जानकरी दी। उन्होंने कहा कि सभी ग्राम पंचायत मे जल बजट बनाया जाता है। यह बजट मांग और पूर्ति के आधार पर बनाया जाता है। भुजल एप्प के माध्यम से आंकलन किया जाता है।
नाम (NAAM) फाउंडेशन के सीईओ गणेश थोराट ने अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में किसानों को जल संरक्षण और टिकाऊ कृषि के बारे में जानकारी देने प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन के वालिंटियर्स गांवों में किसानों की हालत सुधारने और जल संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। वे स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित कर जल संचय और जल संरक्षण के कामों को धरातल पर उतार रहे हैं। उनके कार्यों से देशभर में 1015 गांव लाभान्वित हुए हैं। श्री थोराट ने कहा कि वे छत्तीसगढ़ और धमतरी जिले के गांवों में भी सहयोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में अपना काम देखने लोगों को आमंत्रित भी किया।
अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के एस विश्वनाथन ने कर्नाटक मे जल संचय के अपने अनुभवो को साझा करते हुए कहा कि जल सरक्षण के लिए तालाबों का जीवित रहना जरुरी है। परम्परा गत उपायों की ओर जाना होगा। उन्होंने कहा कि कुंआ को सरंक्षित करना होगा। जो स्थानीय और सामुदायिक वाटर एसेट है, उसे भी शासकीय योजनाओं से जोड़ना होगा।ऐसे प्रयासों मे महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो।
सम्मेलन मे पहुंचे आशीष शर्मा वैज्ञानिक नागपुर ने बताया कि पुदुचेरी मे सबसे पहले वाटर बॉडी की पहचान की गई।सामुदायिक सहभागिता से लोगों को जोड़ा गया। जल अभिलेख एप्प के माध्यम से लोगों ने फोटो और विडिओ पोस्ट किये। फिर उनमे जिओ टैग किया गया। आज फिर से 300 वाटर बॉडी फिर से जीवित हो उठे ।
अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में इकोप्रिनुअर (Ecopreneure) के संस्थापक श्री राजीव रंजन ने खेती में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने के तरीकों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एग्रोफोटोवोल्टेइक्स (Agrophotovoltaics) एक नया तरीका है जिसके माध्यम से सोलर पैनल्स को सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ ही खेती के दूसरे कार्यों में उपयोग किया जा सकता है। इसके माध्यम से 78 प्रतिशत पानी बचाया जा सकता है। उन्होंने सौर ऊर्जा से चलने वाले कोल्ड स्टोरेज के बारे में भी बताया।
जल प्रहरी और फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्युरिटी से जुड़े नीरज वानखेड़े ने सम्मेलन में जल संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग, वेस्ट (Waste) वाटर ट्रीटमेंट और वाटर रिचार्ज के उपायों को रेखांकित किया।
ज्ञात है कि रविशंकर जलाशय (गंगरेल )के किनारे दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय जल सम्मेलन में डेनमार्क के हैंस जी एंगरोब, जापान के ओत्सुजी मारीनो, श्रीलंका के जयंता विजेसिंघा, अमेरिका, यूनिसेफ़ के ओड़िसा और छत्तीसगढ़ के प्रमुख विलियम हेनलोऩ सहित देश के विभिन्न स्थानों से जल विशेषज्ञ शामिल हुए हैँ।