जल जागर महोत्सव : गरिमा दिवाकर और आरू साहू ने लगाई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झड़ी

छत्तीसगढ़ी, जस गीतों ने बांधा समा, झूमें दर्शक

धमतरी। जल जगार महोत्सव में सास्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में पहले दिन गरिमा दिवाकर और आरू साहू ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर समा बांध दिया। इनकी प्रस्तुतियों ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। गरिमा दिवाकर की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। उनका नृत्य कला का प्रदर्शन दर्शकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव था। गरिमा ने अपने नृत्य के माध्यम से जल के महत्व को दर्शाया और इसकी रक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। उनकी हर हरकत में एक गहरी सोच और भावनाएँ थीं, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गईं। उनके नृत्य में शामिल परंपरागत और आधुनिक तत्वों का मिश्रण एक नया अनुभव प्रदान करता था।

दूसरी ओर आरू साहू ने अपनी गायकी से दर्शकों को बांध लिया। उनके गाए गए गीतों में जल के संरक्षण और प्रकृति की सुंदरता का चित्रण था। आरू की आवाज़ में एक जादुई प्रभाव था, जिसने दर्शकों को उनके गीतों में खो जाने पर मजबूर कर दिया। उनकी प्रस्तुति ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि जल के महत्व को भी रेखांकित किया। आरू ने अपनी प्रस्तुति के दौरान यह संदेश भी दिया कि जल बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है।


महोत्सव में कड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित थे, जिन्होंने गरिमा और आरू के प्रदर्शन का आनंद लिया। उनकी तालियों की गड़गड़ाहट ने दर्शाया कि वे कितने प्रभावित हुए हैं। यह कार्यक्रम न केवल कला का प्रदर्शन था, बल्कि यह समाज में एक सशक्त संदेश देने का भी माध्यम था। जल जगार महोत्सव के दौरान जिससे माहौल और भी जीवंत हो गया। इस कार्यक्रम ने एकजुटता और सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया, जिससे सभी ने जल संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझा। पहले दिन आयोजित जल जागर महोत्सव के अंत में गरिमा दिवाकर और आरू साहू की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव डाला। उनके प्रयासों ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि कला न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह समाज को जागरूक करने का एक प्रभावी तरीका भी है। इस महोत्सव ने सभी को यह समझने में मदद की कि जल हमारे जीवन का अभिन्न अंग है और इसकी सुरक्षा हम सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए। इस प्रकार, जल जागर महोत्सव ने न केवल सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया, बल्कि जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण कार्य भी किया।

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