राज्य शासन के दिशा-निर्देश में जिले में अतिशेष शिक्षकों के काउंसलिंग की प्रक्रिया पूर्ण होने पश्चात जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में मौजूद शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को अब न केवल नए शिक्षक मिले हैं, बल्कि विद्यार्थियों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा भी सुनिश्चित हुई है। जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र के बच्चों को टीचर्स की कमी के कारण पढ़ाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। शिक्षक नहीं होने से बच्चों का भविष्य अधर में था। लेकिन आज युक्तियुक्तकरण के माध्यम से शालाओं को शिक्षक मिलने से बच्चों के भविष्य के लिए आशा की एक नई किरण दिखने लगी है।
युक्तियुक्तकरण से पहले जिले के मैदानी इलाकों के स्कूलों में दर्ज संख्या के मान से अधिक शिक्षक कार्यरत थे और वहीं दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के अनुपात से शिक्षक कार्यरत नहीं होने के कारण शिक्षक, छात्र-छात्राओं के अध्यापन कार्य में असंतुलन की स्थिति थी। टीचर्स के इस असंतुलित वितरण से कई विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई पर काफी नकारात्मक असर पड़ रहा था। गणित, विज्ञान, रसायन और भौतिकी विषय के शिक्षकों की उपलब्धता नहीं होने से छात्रों को इन विषयों पर पकड़ बनाने में दिक्कत होती थी। जिला प्रशासन ने इसे युक्तियुक्तकरण के माध्यम से दूर करने का काम किया गया है।
कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने कहा कि जिले के 111 स्कूलों में गणित विज्ञान के शिक्षक नहीं थे, ऐसे स्कूलों में विषय अनुसार टीचर्स नियुक्त किए गए हैं। युक्तियुक्तकरण से दूरस्थ अंचल जैसे दक्षिण मगरलोड नगरी विकासखंड और डूबान क्षेत्र में शिक्षकों की कमी को दूर कर समाधान निकाला गया है। उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि युक्तियुक्तकरण पश्चात सभी शिक्षकों ने अपने आवंटित स्कूलों में ज्वाइन कर लिया है। इन क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति से क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों पालकों और स्कूली बच्चों में उत्साह है। बच्चों की पढ़ाई में जो समस्या होती थी, अब उससे राहत मिल पाएगी। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा।