रायपुर। मुर्गी पालन व्यवसाय को अपना कर जांजगीर चांपा जिले के पामगढ़ जनपद की ग्राम पंचायत मेऊ की रहने वाली श्यामबाई अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और परिवार के भरण-पोषण में सक्षम हो गई है। वह सोनाली मुर्गी का पालन हर महीने सात-आठ हजार रूपए का लाभ अर्जित करने लगी है। उनके इस कार्य में उनका पूरा परिवार हाथ बटाता है। मनरेगा से उनके आवास से लगी भूमि में मुर्गीपालन शेड के लिए बनाए गए शेड से उन्हें अपने मुर्गी पालन व्यवसाय को बढ़ाने में मदद मिली है।

श्यामबाई टंडन मात्र 92 डिसमिल पुश्तैनी भूमि पर खेती करके अपना एवं अपने परिवार का जीवन यापन कर रही थी। वर्षा आधारित खेती होने से पर्याप्त मात्रा में उपज नहीं होने के कारण पारिवारिक जरुरतों को पूरा करने में बडी दिक्कत आती थी। गुजर-बसर के लिए समय-समय पर मजदूरी भी करनी पड़ती थी। ऐसे में श्यामबाई ने जीविकोपार्जन के लिए खेती के साथ-साथ मुर्गी पालन का कार्य शुरू किया लेकिन कच्चा घर होने के कारण मुर्गियां मर जाती थी। मुर्गियों के देखभाल में थोड़ी सी चूक होने पर उन्हें बिल्लियां खा जाती थी। इस समस्या से जूझ रहीं श्यामबाई को पता चला कि महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से मुर्गी पालन के लिए शेड बनाकर दिया जाता है, फिर उन्होंने ग्राम रोजगार सहायक के माध्यम से आवेदन तैयार कर ग्राम सभा में प्रस्ताव को दिया। मनरेगा से 92 हजार रूपए की स्वीकृति शेड निर्माण के लिए मिली। जैसे-जैसे मुर्गीपालन शेड बनता गया वैसे-वैसे श्यामबाई का हौंसला बढ़ता गया। मुर्गी व्यवसाय से उन्हें अब हर महीने 7 से 8 हजार रूपए की आमदनी होने लगी।




