धमतरी @ विश्वनाथ गुप्ता। धमतरी में कई जगह अवैध प्लाटिंग का लेख चल रहा है। ये एक अलग मुद्दा है, लेकिन कभी रूद्री ग्राम पंचायत की खूबसूरती घने पेड़ों ने ले रखी थी, उसे अब ये भूमाफिया संग मिली जुली सह भागी पार्टियां या यू कहे हिस्सेदार लोगों की मिली भगत से रूद्री ग्राम पंचायत को ग्रहण लग गया है। कई अखबारों और मिडिया चैनल की सुर्खी होने के बाद भी जीवन दायनी पेड़ अर्जुन को या हमारी छत्तीसगढ़ी भाषा कहुआ पेड़ को मन माने ढंग से काटा जा रहा है, जो पर्यावरण के लिए शाप है.
इस काम में परमिशन खेल भी चलता है जो कागजों की महज हेरा फेरी का खेल है जो इतने सटीक तरीके से खेला जा रहा है कि सभी जिम्मेदार विभाग और परमिशन कर्ता अपना पल्ला झाड़ते दिख रहे है। कोई शिकाय करे तो किससे करे सब गोलमाल है क्या किसी ने परमिशन देते वक्त ये पूछा कि परमिशन क्यों चाहिए और मौका जा कर देखा की उस कट रहे पेड़ से क्या नुकसान है। अगर नही देखा तो नहीं देखने का क्या मिला और देखा तो जो सामने दिख रहा है उस पर उन्हें क्या फैसला लेना है ये तो भलीभांति जानते होंगे इतने पड़े लिखे तो होंगे।
माजरा सीधा सा है सभी मिले हुए दिख रहे है, क्योंकि जैसा राजा वैसी उसके मंत्री संतरी सब होते है। ये मंत्री संतरी अपने राजा का बदलने का इंतजार करते रहते है कि कब भ्रष्ट राजा बैठे और भ्रष्टाचार शुरू किया जाए। काम चालू है अवैध प्लाटिंग का जो की भूमाफिया करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है और उनका साथ निभा रहे है। नाजायज को जायज कैसे बनाया जाए वाले कमीशन खोर, दौलत कमाना अच्छी बात है लेकिन किसी की लाश पर पैर रख कर धंधा किया जाए ये कहा तक सही है। चाहे लाश इंसान की हो या मुख बधिर पेड़ों की हो, जो जीवन तो सबके लिए है पर उनकी मृत्यु हर पल निश्चित है।
रूद्री स्थित कई कॉलोनी बनाने के लिए ऐसे ही हजारों पेड़ों को बलि दी जा चुकी है और दी जा रही है। परमिशन क्यों और कैसे दी जा रही है। साथ ही ये परमिशन पर्यावरण को देखते हुए कितनी सही है। ये परमिशन देने वाले के साथ साथ वनविभाग की मुस्तैदी कितनी है इस पर भी सवाल उठाए हुए है।