मनीष सरवैया वरिष्ठ पत्रकार महासमुंद । महासमुंद विकास खंड के ग्राम बकमा में रहने वाले देवेंद्र चंद्राकर द्वारा बीते दो से तीन वर्षों में मत्स्य पालन को अपनाकर न केवल अपने जीवन में बदलाव लाया है, बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए भी प्रेरणा भी बन गया हैं। उन्होंने आधुनिक तकनीकों और सतत प्रयासों के माध्यम से इस व्यवसाय को एक नई ऊँचाई दी है।
देवेंद्र चंद्राकर ने पारंपरिक कृषि कार्यों के अलावा मत्स्य पालन को एक वैकल्पिक आय स्रोत के रूप में चुना। उन्होंने मछली पालन के लिए 80 डिसमिल खेत में तालाब बनाया और स्थानीय वातावरण के अनुकूल मछलियों की प्रजातियों का चयन कर वैज्ञानिक पद्धति से मछली पालन का कार्य शुरू किया। एक सीजन में दो बार मछली बेच कर अब अच्छा खासा आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।
उनकी इस सफलता को देखकर गांव के अन्य किसान भी मत्स्य पालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। देवेंद्र न केवल अपने अनुभव साझा करते हैं, बल्कि इच्छुक लोगों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी देते हैं। उनका कहना है कि धान के अलावा मछली पालन से भी उनकी आर्थिक व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है ।
ग्राम बकमा के सरपंच व स्थानीय प्रशासन ने भी देवेंद्र चंद्राकर की सराहना करते हुए कहा कि उनका यह प्रयास ग्रामीण आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम है। मत्स्य पालन जैसे व्यवसायों को बढ़ावा देने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित हो सकते है ।