धमतरी। धरती आबा अभियान के संतृप्तिकरण शिविर में केरेगांव पहुंचे केन्द्रीय प्रभारी अधिकारी हृदयेश कुमार ने महिला स्वसहायता समूहों की सदस्यों द्वारा बनाई गई बांस की दैनिक उपयोगी और सजावटी वस्तुओं की सराहना की। बांस से बनी चीजों को आजीविका के रूप में अपनाकर तथा स्व सहायता समूहों को रोजगार से जोड़ने की इस पहल को श्री कुमार ने अन्य महिलाओं तक विस्तारित करने पर जोर दिया। उन्होंने जय मां तुलसी और कमार लक्ष्मी स्व सहायता समूह की सक्रिय सदस्य कुकरेल गांव की उमा सिन्हा से उनके व्यवसाय के बारे में जाना।
श्रीमती सिन्हा ने बताया कि उनके समूह की महिलाएं मिलकर बांस से पारंपरिक और सजावटी वस्तुएं जैसे सूपा, झाड़ू, टुकनी, गुलदस्ता, शो पीस आदि बांस से तैयार करती हैं। इसके लिए उन्हें आजीविका मिशन द्वारा प्रशिक्षण भी दिया गया है। श्रीमती सिन्हा ने बताया कि इन सामग्रियों की मांग अब केवल गांव तक सीमित नहीं रही, बल्कि ये वस्तुएं अब बड़े बाजारों तक पहुंचने लगी हैं, जहां से अच्छा लाभ भी मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि इस काम से उन्हें हर महीने 4 से 5 हजार रुपये की शुद्ध आय हो जाती है। श्रीमती सिन्हा ने यह भी बताया कि बांस से बनी चीजों की बिक्री बडे शहरों में लगने वाले बाजारों में करती है, जहां इन चीजों की अच्छी मांग रहती है, और दाम भी अच्छे मिलते है।
इस मौके पर कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा ने केन्द्रीय प्रभारी अधिकारी को बताया कि नगरी क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय समुदायों विशेषकर कमार समुदाय में बांस कला का प्रचलन पहले से ही है। जिला प्रशासन द्वारा इसे बढ़ावा देने के लिए 10 कमार शिल्पकारों को महाराष्ट्र के चन्द्रपुर के बांस शिल्प प्रशिक्षण केन्द्र भेजने की भी योजना है। कलेक्टर ने यह भी बताया कि बांस शिल्प को रोजगार के रूप में अपनाने के लिए जनजातीय समुदायों को विस्तृत कार्ययोजना बनाने से लेकर बैंक लोन दिलाने, शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने और बाजार उपलब्ध कराने के लिए भी जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है। हृदयेश कुमार ने प्रशासन के इस प्रयास पर संतुष्टि जताई और इसे विस्तारित करने को भी कहा।