बुजुर्ग ने बताई आखिरी इच्छा- मेरे मरने के बाद पत्नी, बेटी या दामाद न करें अंतिम संस्कार

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70 वर्षीय एक बुर्जुग ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आग्रह किया है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी पत्नी, बेटी या दामाद उसका अंतिम संस्कार न करें। बुर्जग ने इन सभी पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए अपने शव को उस व्यक्ति को सौंपने का निर्देश दिया है जिसने उसके बेटे के रूप में सेवा की है। याची ने दिल्ली सरकार के आधिकारिक मानक संचालन प्रक्रिया को चुनौती दी है जिसमें शव को पीड़ित के रिश्तेदारों को देने का अधिकार देती है।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सोमवार को इस मामले में दिल्ली सरकार के वकील को इस मुद्दे पर दिशा निर्देश लेकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई 18 अक्तूबर तय की है।

याचिकाकर्ता ने तर्क रखा कि वह हृदय की बीमारी से पीड़ित है और डाक्टरों ने उपचार की सलाह दी है। याची ने कहा कि उसकी पत्नी सहित परिवार के सदस्य काफी कठोर है और उसे प्रताड़ना दे रहे है।

याची ने कह कि ऐसे में उसका मानना है कि उसकी मृत्यु के बाद परिवार को उसके अंतिम संस्कार का कोई अधिकार नहीं है बल्कि यह अधिकार अधिकार उसका है जिसने बेटे के रूप में उसकी सेवा की और उस व्यक्ति ने उनकी अच्छी देखभाल की और बिस्तर पर रहने के दौरान उसका शौच तक साफ किया।

याचिकाकर्ता के अनुसार, वह अपने मामले में जीवन, निष्पक्ष व्यवहार और गरिमा के साथ-साथ अपने शव के निपटान के संबंध में अधिकारों का प्रयोग करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में सरकार को अपने नियमों में सेशोधन करने का निर्देश दिया जाए व उसका शव उसे प्रदान किया जाए जिसे उसने अपना बेटा माना है।

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70 वर्षीय एक बुर्जुग ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आग्रह किया है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी पत्नी, बेटी या दामाद उसका अंतिम संस्कार न करें। बुर्जग ने इन सभी पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए अपने शव को उस व्यक्ति को सौंपने का निर्देश दिया है जिसने उसके बेटे के रूप में सेवा की है। याची ने दिल्ली सरकार के आधिकारिक मानक संचालन प्रक्रिया को चुनौती दी है जिसमें शव को पीड़ित के रिश्तेदारों को देने का अधिकार देती है।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने सोमवार को इस मामले में दिल्ली सरकार के वकील को इस मुद्दे पर दिशा निर्देश लेकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई 18 अक्तूबर तय की है।

याचिकाकर्ता ने तर्क रखा कि वह हृदय की बीमारी से पीड़ित है और डाक्टरों ने उपचार की सलाह दी है। याची ने कहा कि उसकी पत्नी सहित परिवार के सदस्य काफी कठोर है और उसे प्रताड़ना दे रहे है।

याची ने कह कि ऐसे में उसका मानना है कि उसकी मृत्यु के बाद परिवार को उसके अंतिम संस्कार का कोई अधिकार नहीं है बल्कि यह अधिकार अधिकार उसका है जिसने बेटे के रूप में उसकी सेवा की और उस व्यक्ति ने उनकी अच्छी देखभाल की और बिस्तर पर रहने के दौरान उसका शौच तक साफ किया।

याचिकाकर्ता के अनुसार, वह अपने मामले में जीवन, निष्पक्ष व्यवहार और गरिमा के साथ-साथ अपने शव के निपटान के संबंध में अधिकारों का प्रयोग करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में सरकार को अपने नियमों में सेशोधन करने का निर्देश दिया जाए व उसका शव उसे प्रदान किया जाए जिसे उसने अपना बेटा माना है।

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