एपीसी की समीक्षा बैठक : दस साल पुरानी किस्मों के स्थान पर नई किस्मों को करें प्रमोट

कृषि उत्पादन आयुक्त   शहला निगार ने की रबी मौसम की प्रगति और आगामी खरीफ कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा

धमतरी। कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार ने धमतरी कलेक्टोरेट सभाकक्ष में संभाग स्तरीय बैठक में विगत रबी मौसम की उपलब्धियों और आगामी खरीफ मौसम की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने बैठक में आगामी खरीफ मौसम में पिछले दस वर्षों से लगाई जा रही फसलों की किस्मों के स्थान पर नई किस्मों को प्रमोट करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने समय पर बीज, खाद, दवा आदि कृषि आदानों के नमूने लेकर उन्हें जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए।

उन्होंने अमानक नमूनों की स्थिति में केवल लायसेंस निरस्तीकरण या निलंबन और अमानक सामग्री को बेचने से रोक लगाने के अलावा ऐसे दुकानदारों और निर्माता कम्पनियों के विरूद्ध वस्तु अधिनियम और अन्य नियमों के आधार पर दण्डात्मक कार्रवाई करने के भी निर्देश कृषि विभाग के अधिकारियों को दिए। श्रीमती निगार ने कहा कि अभी सभी समितियों और भण्डारग्रहों में बीज, खाद, दवाई खरीफ में उपयोग के लिए रखी जा रही है। उन्होंने समय पर इनके नमूने लेकर जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए, ताकि जांच के परिणाम सामग्रियों का किसानों को वितरण होने से पहले प्राप्त हो जाएं।

इस बैठक में रायपुर संभाग के संभाग आयुक्त श्री महादेव कावरे, सभी पांच जिलों-रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार, महासमुंद और गरियाबंद के कलेक्टर, जिला पंचायत के सीईओ, कृषि विभाग के अधिकारियों सहित कृषि, पशु पालन, मछलीपालन, उद्यानिकी और कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च संचालक भी मौजूद रहे। बैठक में राज्य बीज निगम, सहकारी विपणन संघ, जलग्रहण प्रबंधन एजेंसी, कृषि विपणन बोर्ड और उद्यानिकी महाविद्यालय के प्रबंध संचालक भी शामिल हुए।

समीक्षा बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने जिलेवार आगामी खरीफ कार्यक्रम और कृषि तथा उसके सहयोगी विभागों की योजनाओं की जानकारी कलेक्टरों के माध्यम से ली। उन्होंने आगामी खरीफ में बीज उत्पादन कार्यक्रम के लिए नई फसल किस्मों का चयन करने के निर्देश दिए। एपीसी ने कहा कि एक ही तरह की फसलों को लगातार बोने से कीट व्याधि की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही उत्पादन भी कम होता है। इसके साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम होती जाती है। एपीसी ने इन समस्याओं से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा नई किस्मों की खेती कराने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने को कहा। श्रीमती निगार ने कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित की गई छत्तीसगढ़ के लिए उपयुक्त नई किस्मों का प्रचार-प्रसार करने, उनसे संबंधित पोस्टर-पॉम्पलेट आदि वितरित करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। उन्होंने आगामी खरीफ मौसम के लिए बीज की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता और समय पर उठाव सुनिश्चित करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। श्रीमती निगार ने रायपुर संभाग में रासायनिक उर्वरकों के सीमित उपयोग के लिए किसानों को जागरूक करने को भी कहा।

बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने मछलीपालन विभाग की योजनाओं की प्रगति पर भी विस्तृत चर्चा की। उन्होंने जिला अधिकारियों को मत्स्य उत्पादन के लिए केज प्रकरण स्वीकृत करते समय योजनाओं के मापदण्ड और नियमों का पूरा पालन करने के निर्देश दिए। श्रीमती निगार ने केज संबंधी प्रकरण जरूरतमंद मछुआ परिवारों और समितियों को प्राथमिकता से स्वीकृत करने को कहा। उन्होंने सभी जिलों में नई मछुआ समितियां बनाने के भी निर्देश दिए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने संभाग के जिलों में दुग्ध उत्पादन की संभावनाओं पर भी बात की। उन्होंने जिलों में दूध उत्पादन वाले क्षेत्रों की पहचान कर मिल्क रूट बनाने, दुग्ध समितियां गठित करने और समितियों को इस व्यवसाय में प्रशिक्षित कराने के लिए निर्देशित किया। श्रीमती निगार ने यह भी कहा कि दुग्ध व्यवसाय के लिए शासकीय सहायता आदि ’’पहले आओ-पहले पाओ’’ आधार पर स्वीकृत कर दी जाएगी। सभी जिले इसे ध्यान में रखकर अपनी तैयारियां तेजी से करें। एपीसी ने पशुपालन विभाग द्वारा किए जाने वाले पशु टीकाकरण कार्यक्रम की भी समीक्षा की। उन्होंने पशुओं को लगाए जाने वाले टीकों की भी समय-समय पर सैम्पलिंग कर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजने के निर्देश दिए।
श्रीमती निगार ने उद्यानिकी विभाग द्वारा स्थापित की गई शासकीय नर्सरियों के आय-व्यय और रख-रखाव आदि की भी जानकारी बैठक में ली। उन्होंने सभी कलेक्टरों को नर्सरियों का निरीक्षण कर स्टेटस रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए। श्रीमती निगार ने शासकीय नर्सरियों के क्रमबद्ध जीर्णोद्धार के लिए उद्यानिकी विशेषज्ञों की सहायता लेकर विस्तृत योजना बनाने के निर्देश सभी जिला कलेक्टरों को दिए। उन्होंने इस काम में जिला पंचायत के माध्यम से महिला स्व सहायता समूहों को जोड़ने की भी सलाह अधिकारियों को दी, ताकि महिलाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ सके।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने स्थानीय भ्रमण के दौरान प्राथमिक सहकारी समितियों का निरीक्षण करने के निर्देश भी जिला कलेक्टरों को दिए। उन्होंने संभाग में शत्-प्रतिशत किसानों के केसीसी कार्ड बनाने, पीओएस मशीन के द्वारा ही उर्वरकों का वितरण करने, वितरित उर्वरक की रियल टाईम एंट्री करने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए। एपीसी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत सभी पात्र किसानों का ई-केवायसी कराने, उनकी बैंक एवं आधार सीडिंग कराने का काम जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने खाद-बीज, दवाई की उपलब्धता में किसी भी तरह की कमी होने पर समय रहते विपणन संघ के प्रबंध संचालक को सूचित करने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए।

आगामी खरीफ वर्ष 2025 में रायपुर संभाग में 9 लाख 16 हजार 417 हेक्टेयर में खेती की योजना तैयार की गई है। इसके तहत 8 लाख 48 हजार 942 हेक्टेयर में धान, 18 हजार 810 हेक्टेयर में मक्का, दो हजार 935 हेक्टेयर में लघु धान्य, 25 हजार 617 हेक्टेयर में दलहन, 7 हजार 893 हेक्टेयर में तिलहन और 12 हजार 220 हेक्टेयर में अन्य फसलों की खेती की जाएगी। संभाग में इस वर्ष धान के बदले खरीफ मौसम में दलहन-तिलहन की फसलों को बढ़ावा मिलेगा। इस वर्ष पूरे संभाग में पांच हजार 960 हेक्टेयर रकबे में दलहनी-तिलहनी और अन्य फसलों की बोआई प्रस्तावित है। संभाग में मक्का व मिलेट्स क्षेत्र विस्तार की संभावना को देखते हुए 21 हजार 745 हेक्टेयर में खेती की योजना है। इसमें सर्वाधिक 18 हजार 810 हेक्टेयर रकबे में मक्के की फसल लगाई जाएगी।
आगामी खरीफ में खेती-किसानी के लिए किसानों को पांच लाख 26 हजार 43 क्विंटल विभिन्न फसलों के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। इनमें से एक लाख 31 हजार 720 क्विंटल सहकारिता से, 84 हजार 700 क्विंटल निजी क्षेत्र से और 3 लाख 9 हजार 623 क्विंटल अन्य माध्यमों से बीज की आपूर्ति की जाएगी। आगामी खरीफ मौसम में 5 लाख 9 हजार 365 क्विंटल धान बीज, 4 हजार 500 क्विंटल मक्का बीज, 400 क्विंटल मिलेट्स के बीज किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। इसी तरह आगामी खरीफ मौसम में किसानों को दलहन के 5 हजार 123 क्विंटल, तिलहन के 6 हजार 665 क्विंटल बीज उपलब्ध कराने की योजना है। इस वर्ष संभाग में लगभग साढ़े 15 हजार क्विंटल धान के नये किस्मों के बीज किसानों को वितरित किया जाना प्रस्तावित है।
खरीफ मौसम के लिए रायपुर संभाग के किसानों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक भी उपलब्ध कराए जाएंगे। आगामी खरीफ मौसम में किसानों को तीन लाख 47 हजार 570 मीट्रिक टन उर्वरक वितरित करने की योजना है। किसानों को इस बार एक लाख 74 हजार 800 मीट्रिक टन यूरिया, 84 हजार मीट्रिक टन डीएपी, 36 हजार 470 मीट्रिक टन एनपीके, 38 हजार 600 मीट्रिक टन एसएसपी और 12 हजार 700 मीट्रिक टन पोटाश वितरण प्रस्तावित किया गया है।

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