भोरिंग में 2 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन हेचरी अनुपयोगी, जिला पंचायत सभापति अमर अरूण चंद्राकर की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक
महासमुंद @ मनीष सरवैया। जिला पंचायत महासमुंद के कृषि स्थायी समिति की बैठक कल मत्स्य विभाग कार्यालय में आयोजित हुई। यह बैठक सभापति अमर अरूण चंद्राकर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में कृषि स्थायी समिति के सदस्यों द्वारा मत्स्य विभाग के कार्यों की समीक्षा की गई। बैठक में मत्स्य विभाग अंतर्गत योजनाओं के लक्ष्य आबंटन का अनुमोदन भी लिया गया तथा विभाग अंतर्गत संचालित कार्यों की प्रगति के बारे में चर्चा हुई।
मत्स्य विभाग की योजना की समीक्षा के दौरान योजनावार घटक वार मत्स्य उत्पादन, बीज उत्पादन, अन्य भैतिक/ वित्तीय लक्ष्य पूर्ति शत-प्रतिशत पूर्ण करने के निर्देश सहायक संचालक मत्स्य को दिये गये। समीक्षा के दौरान मत्स्य विभाग को सौंपे गए इसके साथ ही वर्ष 2022-23 में मत्स्य विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को मिला इसकी समीक्षा भी की गई। जिसमें बताया गया कि इस योजना के तहत ग्राम मोहंदी के किसान को 25 लाख रूपए की लागत से हेचरी बनाकर दिया गया। जिसके तहत किसान को 60 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की गई के बारे में बताया गया। वहीं, पिथौरा क्षेत्र के एक किसान को हाईटेक हेचरी निर्माण कर जिसकी लागत लगभग 1 करोड़ रू. है, उन्हें भी 60 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर लाभान्वित किया गया है, के बारे में बताया गया। इसके साथ ही मत्स्य पालक किसानों को जाल वितरण, आइस बॉक्स, मछली परिवहन हेतु वाहन आदि की जानकारी दी गई। वहीं, विभाग द्वारा संचालित ग्राम बेलटुकरी हेचरी व खरोरा हेचरी के कार्यों की समीक्षा की गई। जिसमें बेलटुकरी के हेचरी से विगत वर्ष 15 लाख रू. का लाभ विभाग को मिला।
समीक्षा बैठक के दौरान कृषि सभापति अमर अरूण चंद्राकर ने भोरिंग के निर्माणाधीन हेचरी की प्रगति की समीक्षा की। जिसमें बताया गया कि डीएमएफ मद से 50 लाख रू. तथा छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी मत्स्य महासंघ रायपुर द्वारा लगभग 2 करोड़ रू. की राशि से संयुक्त रूप से बनाए जा रहे हेचरी निर्माण 2018 में प्रस्तावित था। अभी तक जिला मत्स्य विभाग को हैंडओवर नहीं किया गया है। जिस पर समिति के समस्त सदस्यों व विभागीय अधिकारियों द्वारा भोरिंग जाकर उक्त हेचरी का निरीक्षण किया गया। जहां पाया गया कि उक्त हेचरी पूर्ण रूप से गुणवत्ताविहीन तथा अनुपयोगी बनाए गए हैं। निरीक्षण में पानी की कमी, अनियमितता सामने आई। उच्च तकनीक से बनाए जा रहे उक्त हेचरी पूर्ण रूप से अनुपयोगी पाया गया। जिस पर प्रस्ताव बनाकर उक्त हेचरी को हैंडओवर नहीं लेने सहमति बनी।
वहीं, निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि 40 एकड़ से अधिक शासकीय जमीन उक्त हेचरी के लिए उपलब्ध कराया गया था, जिसमें मत्स्य महासंघ द्वारा कार्य नहीं कराए गए। स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार भी उपलब्ध नहीं कराया गया। उक्त हेचरी में मनरेगा के तहत भी ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिला। स्थानीय सरपंच सचिवों से चर्चा कर जानकारी ली गई। इस संबंध में सभापति व समिति पदाधिकारियों द्वारा कलेक्टर को अवगत कराने तथा पत्र प्रेषित कर डीएमएफ की राशि उक्त हेचरी में किन-किन कार्यों के लिए खर्च की गई इसकी शिकायत की बात कही गई। इस अवसर मत्स्य विभाग के अधिकारी ए.के. सिंह, सरपंच उषा साहू, सरपंच राजेश साहू, वेदप्रकाश साहू सहित विभागीय अधिकारी-कर्मचारी व ग्रामीण जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।