सत्संग ही गृहस्थ जीवन के आनंद का आधार : आचार्य रामप्रताप शास्त्री

धमतरी। आज लोगों के पास धन-दौलत, संपन्नता है। लेकिन घर में सुख-शांति नही है। हर घर में क्लेश हो रहे है। लोग अज्ञानता के चलते अनचाहे रोगों से पीडि़त हो रहे है। इसका एक मात्र कारण है धार्मिक कार्यक्रमों की उपेक्षा। गृहस्थ जीवन में आनंद का मूलाधार ही सत्संग है। यह बात आचार्य रामप्रताप शास्त्री महाराज ने शिव महापुराण के 5 दिन रुद्री स्थित साहू समाज भवन में कहीं।

शिव महापुराण कथा के छठवें दिन भगवान-शिव पार्वती के विवाह की कथा सुनाई गई। शिव-पार्वती के विवाह की मनोहारी कथा सुन दर्शक नाचने पर मजबूर हो गए और पूरा पंडाल हर-हर महादेव के नारों से गुंजायमान हो गया। वहीं माता पार्वती की विदाई के समय सभी की आंखे नम हो गई। इसके बाद कथा वाचक श्री शास्त्री ने सत्संग का महत्व बताते हुए कहा कि आज प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ ने लोगों की जीवन शैली को बदल दिया है। इसका परिणाम परिवारों में कलह, आपसी द्वेष के रूप में सामने आ रहा है। आज परिवारों में सब कुछ है, लेकिन प्रेम, शांति नही है। उन्होंने कहा कि इसका कारण है कि लोग आज धार्मिक कार्यक्रमों से दूर हो रहे है। सत्संग ही गृहस्थ जीवन के आनंद का आधार है। उन्होंने कहा कि सत्संग से ही सुखमय गृहस्थ जीवन चलता है।

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