हाउसिंग बोर्ड बना था पंछियों का बसेरा, बिजली विभाग ने रातों रात उजाड़ा

धमतरी @ विश्वनाथ गुप्ता। हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी हटकेशर में कुछ दिन पहले दृश्य देखने लायक हुआ करता था, जहाँ विभिन्न प्रकार पे पक्षी प्रवास करके यहां बने हुए बड़े गार्डन में आ जाये करते थे, एक तरफ जहां हर तरफ गर्मी में हालात खराब हैं, और दिन प्रतिदिन गर्मी बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में जगह-जगह पंछियों की संख्या में गिरावर आ रही है, वही हाउसिंग बोर्ड कालोनी में विभिन्न प्रकार के पंछी अपना घर बना लिए थे, और कालोनीवासी भी इन्हें अनाज डालकर व घरों की छत में पानी रखकर इनकी देखभाल करने को पूण्य का काम कहते हैं, साथ ही बदमाश शिकारियों से भी इनकी रक्षा कर रहे थे। लेकिन बिना सोचे-समझे किये जाने वाले प्रसासन के कृत्यों के आगे कहां किसी की चलती हैं। रातों रात पेड़ो की छटाई के नाम पर गार्डन में लगे बड़े-बड़े वृक्षों को जड़ से काट दिया गया हैं।

हालात ये हैं कि अब बचे हुए बाकी वृक्षों से भी पंछी पलायन कर रहें हैं यह प्रतीत हो रहा हैं। भारत देश प्रकृति प्रेम व वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्शों पर चलने वाला देश हुआ करता था, किन्तु आज की व्यवहारिक दुनियां में किसी और के लिए हम सोच रखें यह मानसिकता ही खो गई हैं, चेतना इतनी दुर्बल हो चुकी हैं कि जिस गार्डन को पंछियों ने अपना आसरा बनाया था, रातों-रात वहां कुल्हाड़ी चला दी गई। आस पास के लोगों में आक्रोश है और वह बची हुई झाड़ियों की सफाई कर अब वहां नए सिरे से वृक्षारोपण की मांग कर रहे हैं। ज़रूरत के हिसाब से डंगालों की छटनी के बजाए जिस तरह हरे-भरे वृक्षों को काटा गया हैं, लोगों में आक्रोश हैं। बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए बिजली विभाग के ज़िम्मेदार लोगों ने भी इस कटाई से किनारा कर लिया हैं, और अज्ञात लोगो द्वारा कटाई की बात कर रहें हैं।

शहरों में क्यूँ हैं वृक्ष की ज़रूरत
ग्लोबल वार्मिंग की वर्तमान स्थिति की जाँच करने वाली ताज़ा रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार स्लोवेनिया और वेनेजुएला 18वीं सदी के बाद अपने आखिरी ग्लेशियर खोने वाले पहले देश बन चुका हैं, ऐसी बढ़ती हुई गर्मी में भारत भी पीछे नहीं हैं, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भी देश में अब तक का अधिकतम तापमान घोषित किया हैं। शहर के मध्य कुछ वृक्षों के होने से पंछियों का बसेरा, प्रदूषण से मुक्ति व साफ-सुथरी हवा मिल पाती हैं, ऐसे में शहर के अंदर बचे हुए वृक्षों को बचाना बहुत ज़रूरी हैं। इस बात पर चर्चा, जागरूकता व कटाई करने वाले अज्ञात लोगों पर सख्त कार्यवाही की मांग उठने लगी हैं।

अब वक्त आ गया है की किसी भी प्रकार के पेड़ो की कटाई पर अगले 25 से 30 वर्षो तक पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए और आज के प्रवेश में ये एक अहम भूमिका निभाने का मार्ग होगा नही तो आने वाली पीढ़ी दो पल के शुकून को तरसेगी

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