मनीष सरवैया@ बसना। विधायक डॉ.सम्पत अग्रवाल ने प्रदेशवासियों को बैसाखी त्योहार की बधाई दी।विधायक अग्रवाल ने बताया कि, “बैसाखी का त्योहार मुख्य रूप से सिक्ख धर्म और कृषि संस्कृति से जुड़ा हुआ है, और इसे फसल कटाई के पर्व के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन किसान अपनी मेहनत से उगाई गई फसल के लिए ईश्वर का धन्यवाद करते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।”
विधायक डॉ.सम्पत अग्रवाल ने यह भी कहा की,”सिक्ख धर्म में बैसाखी का विशेष महत्व है। क्योंकि सन 1699 में इसी दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह दिन सिक्ख धर्म के मूल सिद्धांतों और एकता का प्रतीक है।”
जलियावाला बाग नरसंहार के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
विधायक डॉ.सम्पत अग्रवाल ने आज ही के दिन हुए सन 1919 में जलियावाला बाग नरसंहार के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उस दिन की इस घटना को याद किया और कहा कि, “जलियांवाला बाग नरसंहार भारतीय इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह घटना 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर, पंजाब में हुई थी। उस दिन बैसाखी का पर्व था, और हजारों लोग जलियांवाला बाग में एकत्र हुए थे। वे रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जो ब्रिटिश सरकार को बिना मुकदमे के किसी को भी गिरफ्तार करने की अनुमति देता था। ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बिना किसी चेतावनी के अपने सैनिकों को निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया।
जलियावाला बाग हत्याकांड भारतीय इतिहास का है काला अध्याय
बाग चारों ओर से दीवारों से घिरा हुआ था, और केवल एक ही संकरा प्रवेश द्वार था, जिसे सैनिकों ने घेर लिया था। इस गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। ब्रिटिश सरकार के अनुसार, 379 लोग मारे गए, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या 1,000 से अधिक थी। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इसने पूरे देश को झकझोर दिया और असहयोग आंदोलन की नींव रखी। आज जलियांवाला बाग एक राष्ट्रीय स्मारक है, जो हमें स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों की याद दिलाता है.