नारी सशक्तीकरण और सुशासन की मिसाल है रानी अहिल्याबाई होल्कर का जीवन – अरुण साव

उप मुख्यमंत्री ने देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को दिए पुरस्कार

रायपुर। रानी अहिल्याबाई होल्कर का जीवन नारी सशक्तीकरण और सुशासन की मिसाल है। अपने जीवन में तमाम आघातों और विपरीत परिस्थितियों के बीच उन्होंने कुशलता से राजकाज संचालित किया और अनेक कल्याणकारी कार्य किए। केवल इंदौर तक ही सीमित न रहकर उन्होंने पूरे देश में धर्मशालाएं, मंदिर और घाट बनवाए। प्रजा को अपनी संतान मानकर उनके लिए बेहद संवेदनशीलता से कार्य किए। बालिकाओं को पढ़ाई और विधवा महिलाओं को संतान गोद लेने के अधिकार दिए।

उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयन्ती के अवसर पर रायपुर नगर निगम द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरण समारोह में ये विचार व्यक्त किए। विधायक राजेश मूणत, सुनील सोनी, मोतीलाल साहू और पुरंदर मिश्रा तथा रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे भी नवीन विश्राम भवन में आयोजित संगोष्ठी-सह-पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल हुईं।

उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कार्यक्रम में मौजूद स्कूली और महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं तथा उनके अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर बहुत बहादुर, धैर्यवान, क्षमतावान और हौसलेमंद महिला थी। इन गुणों की बदौलत उन्होंने अपने जीवन में आए संघर्षों और समस्याओं का डटकर सामना किया। प्रजापालक के रूप में अपने दायित्वों का पूरी क्षमता और कुशलता से निर्वहन किया। वे राजकाज के कार्यों के साथ ही युद्ध कौशल में भी प्रवीण थीं। उनका पूरा जीवन हम सबके लिए बहुत प्रेरणादायी है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष नारायण चंदेल ने संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर साधारण परिवार में पैदा होने वाली असाधारण महिला थी। अपने कार्यों से उन्होंने वीरांगना, लोकमाता और राजमाता का दर्जा हासिल किया। अपने शासन काल में राज्य और प्रजा के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अच्छे से निर्वहन किया। उन्होंने सुशासन और परोपकार के नए प्रतिमान स्थापित किए। आज से 300 साल पहले उन्होंने पेयजल और भू-जल रिचार्ज सुनिश्चित करने के कार्य किए।

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