
मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कहा कि आदि कर्मयोगी जनजातियों से सहज-सरल एवं उनकी ही भाषा व बोलचाल में मित्रवत जुड़ाव से आदि कर्मयोगी अभियान का उद्देश्य पूरा होगा। ऐसे आदि कर्मयोगी साथी को भी इस अभियान में जोड़ने की भी जरूरत है, जो गोड़ी, हल्बी, भतरी, सदरी आदि बोली-भाषा का ज्ञान रखते हैं।
उन्होंने कहा कि आदि कर्मयोगी एक-एक आदिवासी परिवारों से मिलकर उनकी आजीविका, उनके रोजी-रोटी का साधन उनकी स्वास्थ्य, पोषण, सेरक्षित प्रसव टीकाकरण आदि विशेष विषय पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर, सरगुजा के दूरस्थ अंचलों में चर्चा के दौरान बच्चों में रूचिकर हुनर से भी जोड़ने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्हें व्यवहारिक शिक्षा के साथ ही तकनीकी शिक्षा, सहकारी साख समितियों से ऋण लेने तथा ऋण चुकाने की भी जानकारी देनी चाहिए।
प्रमुख सचिव सोनमणी बोरा ने कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान के तहत पूरे देश में आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में 20 लाख स्वयंसेवकों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस राष्ट्रीय लक्ष्य में छत्तीसगढ़ राज्य की भागीदारी सक्रिय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 28 जिलों के 138 विकासखंडो में लगभग 1 लाख 33 हजार वॉलंटियर्स को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे जनभागीदारी और जनजागरूकता के माध्यम से समयबद्ध रूप से पूर्ण किया जाना है.