कुरुद में धूमधाम से घर-घर विराजे विघ्नहर्ता ,गणेशोत्सव का छाया हर्षोल्लास

कुरुद @ मुकेश कश्यप। देवो में प्रथम पूज्य गणपति महराज जी का पावन उत्सव गणेश चतुर्थी का आगाज आज हो गया है। शुभमुहूर्त में विघ्नहर्ता बप्पा श्री गणेशजी जी का आगमन घर-घर हो गया है। वहीं नगर के प्रमुख स्थानों में बड़े-बड़े पंडालों में भी लंबोदर महराज जी विराज रहे है।हर्षोल्लास का वातावरण मंगलमूर्ति सिद्धि विनायक जी के आगमन पर छाया हुआ है।विगत दिनों से कुरुद सहित अंचल में धूमधाम के साथ गौरी के लाला के आगमन की तैयारी के लिए आमजन जुट हुए थे।यहां का स्थल सजावट व विसर्जन झांकी की भव्यता देखते ही बनती है।
आज दोपहर से ही कुरुद के प्रमुख स्थानों पर एक से बढ़कर से सजे मनमोहक पंडालो पर बप्पा जी का आगमन हो रहा है। नया बस स्टैंड ,संजय नगर ,कारगिल चौक ,सरोजनी चौक, ब्राह्मण पारा,बैगा पारा, पुराना बाजार, नया बाजार, इंदिरा नगर ,पचरीपारा ,शंकर नगर,सिरसा चौक ,कचहरी चौक ,थाना चौक,गांधी चौक ,बजरंग चौक ,दानीपारा,धोबनी तालाब सहित विभिन्न स्थानों पर तेजी से गणेशोत्सव समिति द्वारा पंडालो में श्री गणेश जी धूमाल-डीजे की मधुर थाप से सजे शोभायात्रा के साथ पधार रहे है।
भारत में त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है और यह साल के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है गणेश चतुर्थी।गणेश चतुर्थी देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश की जयंती का प्रतीक है और भक्त इस दौरान धन, समृद्धि और सफलता की कामना करते हुए अपने घरों में उनका स्वागत करते हैं।हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में आती है,इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है, यह 10 दिनों का त्योहार होता है जिसका समापन अंतिम दिन (अनंत चतुर्दशी) गणेश विसर्जन के साथ होता है।गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चर्तुथी ति​थि को हुआ था।इस वजह से हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।गणेश जी की चार भुजाएं हैं और वे अपनी चारों भुजाओं में क्रमश: अंकुश, पाश, मोदक से भरा पात्र और वरद मुद्रा धारण करते हैं।वे पीले वस्त्र पहनने वाले, बड़े पेट वाले और कानों वाले हैं. वे लाल चंदन धारण करते हैं।गणेश जी को भोग में मोदक प्रिय है और फूलों में लाल रंग का पुष्प उनको भाता है।

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