मतस्‍य विभाग में करोड़ों का केज घोटाला फूटा, जांच जारी

राजनांदगांव। मतस्‍य विभाग में केज आबंटन में करोड़ों के घोटाले का मामला सामने आया है। आरोप है कि तत्‍कालीन सहायक संचालक ने अपने कार्यकाल में यहां आबंटन में फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। ऐसे 4 केज मिले हैं जिनमें से एक विभागीय ड्राईवर की पत्‍नी और दो चपरासियों की पत्‍नी के नाम पर आबंटित किए गए हैं। जबकि एक आदिवासी व्‍यक्ति के नाम से लिया गया है। उक्‍त व्‍यक्ति ने शिकायत कर बताया है कि, उसे केज आबंटन की जानकारी ही नहीं है और अधिकारियों ने कूट रचना कर उसके नाम पर केज का आबंटन करवाया है।

दरअसल, लगभग 54 लाख की कीमत के केज शत प्रतिशत सब्सिडी के साथ आबंटित किए गए थे। ऐसे कुल 4 केज नवागांव जलाशय में लगाए गए हैं। हालही में जब मतस्‍य विभाग ने इनके लीज की रकम के लिए लाभार्थियों को नोटिस जारी किया तो पता चला कि हितग्राहियों को इस आबंटन की जानकारी ही नहीं है। यह मामला वर्ष 2021 का है।

हालही में खुलासा हुआ कि जिन लाभार्थियों के नाम पर इसे आबंटित किया गया है वे इस पूरे मामले से नावाकिफ हैं। खैरागढ़-गंडई-छुईखदान जिले के ग्राम भोथली निवासी भुवन पोर्ते को भी विभाग से नोटिस मिला है। उसने इस पूरे मामले की शिकायत एसपी, विभागीय सहायक संचालक के अलावा सीएम तक की है। भुवन ने शिकायत में बताया है कि, उसने केज आबंटन के लिए आवेदन नहीं किया था। अधिकारियों ने मिलीभगत कर कूटरचना कर भुवन के नाम केज आबंटित करा लिया। मतस्‍य विभाग में ऐसे ही कई और मामले सामने आने की आशंका है।

आरोप लग रहे हैं कि पूर्व सहायक संचालक गीतांजलि गजभिए ने इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया। षड़यंत्र कर उन्‍होंने अलग-अलग लोगों के नाम से केज का आबंटन किया। इसमें प्रधानमंत्री मतस्‍य संपदा योजना के तहत 60 प्रतिशत और डीएमएफ से 40 प्रतिशत यानी कुल 100 प्रतिशत सब्सिडी दी गई। कुल मिलाकर 54 लाख का केज लाभार्थियों को फ्री में मिलना था। तत्‍कालीन सहायक संचालक ने इसका फायदा उठाने ही करोड़ों के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया।
भाजपा सरकार बनने के बाद इस मामले की जांच तेज हुई। तत्‍कालीन सहायक संचालक की करतूतों की शिकायत मुख्‍यमंत्री तक पहुंची। इसके बाद संचालनालय ने इसकी गोपनीय जांच शुरु की। भुवन के सामने आने के बाद इसमें और तेजी आई है। अन्‍य लाभार्थियों से भी इस मामले में बयान लिए जाने की तैयारी है।
बताया जा रहा है कि, केज आबंटन में गड़बड़ी का यह मामला करोड़ों का है। इसके अलावा भी तत्‍कालीन सहायक संचालक ने कई और गड़बडि़यों का अंजाम दिया है जिसका विभागीय जांच में खुलासा होने की उम्‍मीद है।

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