नये भारत में युवाओं के लिए धरती से लेकर आकाश तक कामयाबी के हैं असीमित अवसर: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के 11 वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए उपराष्ट्रपति

रायपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के 11 वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित करते हुए कहा कि आप सब युवा नये भारत के राजदूत हैं। देश को आपको अपना शत-प्रतिशत देना होगा। कोई भी व्यक्तिगत हित राष्ट्र हित से बढ़कर नहीं है। युवाओं को अपने चारों ओर देखना होगा, सिर्फ सरकारी नौकरियां ही जीवन का लक्ष्य न हो। युवाओं के पास अब नये भारत में धरती से लेकर आकाश तक असीमित अवसर हैं।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि बाबा गुरु घासीदास एकता और समानता के प्रतीक थे। हमें उनकी शिक्षाओं और संदेशों का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने युवाओं को बदलते तकनीक से तालमेल बैठते हुए कौशल एवं नवाचार के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जीवन में कभी भी असफलता से घबराएं नहीं बल्कि उससे सीख लेते हुए आगे बढ़ें। उन्होंने समारोह में सत्र 2022-23 के 78 एवं सत्र 2023-24 के प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 77 विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक, 09 दानदाता पदक, 01 गुरू घासीदास पदक तथा 01 कुलाधिपति पदक सहित 85 पदक प्रदान किये गये। इसके साथ ही सत्र 2022-23 एवं सत्र 2023-24 के कुल 122 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।

उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि छत्तीसगढ़ खनिज बाहुल्य राज्य है। यहां समृद्धि की काफी संभावनाएं हैं, इसलिए विकास की ऐसी रणनीति बनाएं जिससे सामूहिक समृद्धि बढ़े और जन-जन का विकास संभव हो। उन्होंने कहा कि विगत वर्ष में नक्सली उन्मूलन की दिशा में काफी अच्छे प्रयास हुए हैं और इन क्षेत्रों में विकास की रफ्तार भी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि अभूतपूर्व विकास वाले राज्य में नक्सलवाद के लिए कोई जगह नहीं है। इस समय जो विकास हो रहा है, वह समाज के हाशिये पर पड़े वर्गों, समाज के कमजोर तबके पर केन्द्रित है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी जन हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों से राज्य के समग्र विकास को एक नई दिशा दी है।

राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, एक ऐसी संस्था है जिसने लगातार छत्तीसगढ़ में शिक्षा और ज्ञान के मार्ग को रोशन किया है। राज्यपाल ने कहा कि स्वर्ण पदक और पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वालों के वर्षों के समर्पण, लगन और कड़ी मेहनत का प्रतिफल है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि विविधता का सम्मान करें और देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखें।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा भारत विश्व गुरु के रूप में विख्यात रहा है, इसके पीछे नालंदा और तक्षशिला जैसे ज्ञान-विज्ञान से समृद्ध विश्वविद्यालय रहे हैं। छत्तीसगढ़ की युवा शक्ति की प्रदेश ही नहीं देश के नवनिर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह छात्र-छात्राओं के लिए केवल एक औपचारिकता मात्र नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो आत्ममंथन, बदलाव और प्रेरणा का प्रतीक है।

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