रायपुर। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय भू-जल संवर्धन मिशन (शहरी) के शुभारंभ पर आयोजित कार्यशाला में ‘जल संरक्षण की प्राचीन परंपरा और वर्तमान में इसे पुनर्जीवित करने की जरूरत’ पर पीपीटी के माध्यम से अपनी बातें रखीं। उन्होंने रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, अभियंताओं, स्वयंसेवी और गैर-सरकारी संगठनों से कहा कि इस गर्मी में सभी लोगों ने महसूस किया होगा कि जल संरक्षण क्यों जरूरी है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भी गंभीरता से इसे महसूस कर वर्षा जल और भू-जल संवर्धन का अभियान मिशन मोड पर शुरू कर रही है। इसमें सभी शहरवासियों की सहभागिता जरूरी है।
कार्यशाला में हाइड्रोलॉजिस्ट्स, कॉलोनाइजर्स, उद्योग समूह और राज्य शासन के विभिन्न विभागों ने भू-जल और वर्षा जल के प्रभावी संवर्धन पर चार घंटे तक संवाद किया। उप मुख्यमंत्री अरुण साव और भारत के वाटरमैन के नाम से प्रसिद्ध राजेन्द्र सिंह ने ओपन सेशन (Open Session) में प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने अपने प्रस्तुतिकरण में कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए जल को सहेजकर रखना हमारा सामाजिक दायित्व है। हमारे पूर्वजों ने भावी पीढ़ियों के लिए तालाब, कुएं और बावली बनाकर जल संरक्षित किया था। बाद की पीढ़ियों ने इनके संरक्षण-संवर्धन पर ध्यान नहीं दिया। नतीजतन, आज बड़ी संख्या में ये पट गए हैं या अतिक्रमण का शिकार हो गए हैं। जलस्रोतों के प्रति हमारी उदासीनता ने आज हमें जल संकट की ओर धकेल दिया है। श्री साव ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों में उल्लेखित जल के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल न सिर्फ प्यास बुझाता है, अपितु यह संस्कृति, आस्था और जीवन का संगम है। जल संरक्षण जरूरत नहीं, हमारा सामाजिक दायित्व है।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को भू-जल और वर्षा जल के संरक्षण के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि हमने नए तालाब और नए कुएं खोदने बंद कर दिए हैं। जल की हमारी सभी जरूरतों के लिए हम सरकार पर आश्रित हो गए हैं। हमने पूर्वजों के दिए स्रोतों को भी संरक्षित नहीं किया। इसने एक बड़ी विसंगति को जन्म दिया है। एक ओर गर्मी में बूंद-बूंद के लिए संघर्ष करते हैं तो दूसरी ओर बरसात में बाढ़ झेलते हैं। श्री साव ने कार्यशाला में शहरों में जल संकट की प्रमुख चुनौतियों को सामने रखते हुए भू-जल और वर्षा जल के संरक्षण के विभिन्न तरीकों को प्रभावी रूप से अमल में लाने पर जोर दिया।