Dhamtari : घर के जैसा है, कमार बच्चों के लिए बनरौद का आंगनबाड़ी केन्द्र

विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से बना सर्वसुविधायुक्त-आकर्षक आंगनबाड़ी भवन
30 से अधिक छोटे बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं, शिशुवती माताओं को मिल रहीं सुविधाएं

धमतरी। धमतरी जिले के वनांचल नगरी के बनरौद में बाला प्रोजेक्ट के तहत बना आंगनबाड़ी केन्द्र विशेष पिछड़ी जनजाति कमार की गर्भवती महिलाओं, शिशुवती माताओं के साथ-साथ बच्चों के लिए भी घर जैसा प्रतीत हो रहा है। यहां 30 कमार बच्चों के साथ ही 6 गर्भवती महिलाओं और 4 शिशुवती माताएं भी विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित हो रहीं हैं। इस आंगनबाड़ी भवन की दीवारों में बने रंग-बिरंगे आकर्षक फलों, फूलों, सब्जियों, जानवरों के चित्र सहित गिनती, अक्षर आदि नौनिहाल बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।

बच्चे इन चित्रों को देखकर खुशी-खुशी इनके नाम सहित गिनती आदि तो सीख ही रहे हैं। इसके साथ ही बच्चों को स्वास्थ्य, सफाई, खान-पान के तरीके आदि की भी जानकारी खेल-खेल में दी जा रही है । इस सर्व सुविधायुक्त आंगनबाड़ी केन्द्र में शौचालय, हाथ धोने के लिए वॉश बेसिन सहित कमरों में एक साथ बैठकर खाना खाने के लिए गोले भी बने हैं। बनरौद के आंगनबाड़ी केन्द्र में 6 माह से 3 साल तक के 12 और 3 साल से 6 साल तक की उम्र के 18 बच्चे रोज सुबह आते हैं।

यहां बच्चों को मेन्यू अनुसार रोटी, चावल, पोष्टिकता से भरपूर दाल-सब्जी दी जाती हैं। इसके साथ ही अचार, पापड़ और गुड़ भी उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और शिशुवती माताओं को पौष्टिक आहार दिया जा रहा है।

ग्राम पंचायत कुम्हड़ा के आश्रित ग्राम बनरौद में बने इस शासकीय आंगनबाड़ी केन्द्र का क्षेत्रफल 80 वर्गमीटर है। इसमें एक हॉल, एक ऑफिस, रसोईघर, स्टोर रूम और शौचालय के साथ ही बच्चों के खेलने के लिए आंगन भी बना है। यह भवन विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से बनाया गया है। इसके लिए वर्ष 2024-25 में 11 लाख 69 हजार रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति मिली है। इनमें मनरेगा से 8 लाख रूपये, एकीकृत बाल विकास परियोजना से 2 लाख रूपये और ग्राम पंचायत के 15 वें वित्त से एक लाख 69 हजार रूपये मिले हैं।

बनरौद आंगनबाड़ी केन्द्र में छोटे बच्चों को खेल-खेल में भाषायी ज्ञान, बोलने के तरीके सिखाने के साथ ही अंक ज्ञान, गिनती, जंगली व पालतू जानवरों की पहचान, फूलों-सब्जियों आदि की जानकारी भी दी जा रही है। छोटे बच्चों के कोमल मन को संस्कारों और रीति-रिवाजों से भी संवारा जा रहा है। यहां के बच्चों को पोषण के साथ गांव की सभी महिलाओं और युवतियों को भी नोनी सुरक्षा योजना, मातृ वंदन योजना, महतारी वंदन योजना, बालिका समृद्धि योजना, महिला कोष आदि योजनाओं की भी जानकारी मिल रही है, ताकि महिलाएं- युवतियां अपने भविष्य के प्रति जागरूक हों और शासकीय योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ लेकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

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