Bagbahra : बटोरा में आयोजित शरद पूर्णिमा महोत्सव में संसदीय सचिव द्वारिकाधीश यादव ने की शिरकत

बागबाहरा @ मनीष सरवैया । बागबाहरा (Bagbahra ) विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम बटोरा में आयोजित शरद पूर्णिमा महोत्सव छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव व विधायक द्वारिकाधीश यादव के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ.
कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम पंचायत सरपंच प्रेमशंकर सिन्हा ने की।
वहीं विशेष अतिथि की आसंदी पर विधायक प्रतिनिधि राजू चंद्राकर, देवचंद नारंग, ग्राम पंचायत कोमाखान के पंच राजू जैन, रमेश साहू विराजमान रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत लक्ष्मी नारायण की पूजा अर्चना के साथ हुई। पश्चात चंद्र देव की पूजा अर्चना के साथ भोग स्वरूप खीर का प्रसाद चढ़ाया गया। बता दें खल्लारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम बटोरा में विगत 70 वर्षों से शरद पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसमें श्रद्धालु भक्तजन बड़ी दूर-दूर से यहां के महोत्सव में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संसदीय सचिव श्री यादव ने शरद पूर्णिमा के विषय में सारगर्भित वैज्ञानिक और पौराणिक जानकारी दी। श्री यादव ने बताया कि पूरे वर्ष में केवल आश्विन माह की पूर्णिमा पर ही चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं के साथ प्रकाशित होता है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है और उसके प्रकाश में व्याप्त औषधि गुण जो कि मानव को आरोग्य प्रदान करते हैं वह बड़ी मात्रा में पृथ्वी तक पहुंचती है जिसके कारण अन्य महीनों की पूर्णिमा की अपेक्षा आश्विन माह की पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा की विशेष पूजा अर्चना करते हुए उन्हें खीर का भोग लगाया जाता है। और मध्य रात्रि के पश्चात उस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है जिससे शरीर में आयु आरोग्य और बल की वृद्धि होती है।

श्री यादव ने बताया कि आयुर्वेदाचार्य साल भर इस पूर्णिमा का इंतजार करते हैं. जीवनदायिनी रोग नाशक जड़ी-बूटियों को शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखते हैं. अमृत से नहाई इन जड़ी-बूटियों से जब दवा बनाई जाती है तो वह रोगी के ऊपर तुंरत असर करती है. चंद्रमा को वेद-पुराणों में मन के समान माना गया है. वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक भी बताया गया है. श्री यादव ने बताया कि शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं. ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है. शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है. इसीलिए इस खीर को औषधियों से युक्त करते हुए एक विशेष विधि से बनाया जाता है. पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है.

पुराणों की मानें तो जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी. यह संपूर्ण भारतवर्ष में शरद पूर्णिमा का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
गुजरात में शरद पूर्णिमा को लोग गरबा खेलते हैं. मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं. पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रात भर जागते हैं, उनकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है. जबकि, ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है. इस दौरान संसदीय सचिव श्री यादव ने राज्य सरकार के द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं की भी सारगर्भित जानकारी दी।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से ग्रामपंचायत बडोरा के पंच गण श्री भुवन साहू दिनेश साहू बुद्धेश्वर साहू लापेंद्र साहू श्रीमती रूपा साहू श्रीमती सविता पटेल, ग्राम के पटेल अनक राम साहू ग्राम प्रमुख लक्ष्मीनाथ साहू शिवकुमार हेमलाल साहू भाऊ राम यादव रुपेश पटेल हरि पटेल पंकज पटेल धर्मेंद्र निषाद मदन पटेल भीलवाड़ा से पुनीत राम पटेल कुलिया से लेख राम यादव, मोहम्मद सफी खान के साथ-साथ बड़ी संख्या में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि गण ग्रामीण जैन व बड़ी संख्या में माताएं बहने उपस्थित रही।

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