रायपुर। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के बरदर गांव में रहने वाले आदिवासी दंपती धन सिंह और सुघरी बाई पहले सिर्फ मजदूरी कर जीवन यापन करते थे। उनके पास कुछ जमीन तो थी, लेकिन पानी न होने की वजह से खेती नहीं हो पा रही थी।
सरकार से मिले वन अधिकार पत्र और मनरेगा योजना के तहत सुघरी बाई के नाम पर एक कुएं की मंजूरी मिली। करीब ढाई लाख रुपए की लागत से बना यह कुआं अब उनके खेतों को पानी दे रहा है। अब यह परिवार अपने खेत में साल में तीन बार फसल ले रहा है, जिसमें गर्मी में उड़द एवं अन्य फसल शामिल हैं। कुएं के बनने से इनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है और अब यह परिवार दूसरों के लिए मिसाल बन गया है।