magarlod : आदिवासी समाज 32% आरक्षण लेकर रहेगा – जीवराखन लाल मरई

मगरलोड @ टोमन लाल सिन्हा। ब्लॉक मुख्यालय नगर पंचायत मगरलोड के बुढ़ा देव मंदिर प्रांगण में 29 जनवरी सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ में अपने संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा तथा ज्वलत समस्याओं को लेकर तथा 23 सूत्री मांगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने बैठक कर समाज को नई दिशा एवं विभिन्न मांगों को लेकर रूपरेखा तैयार की इस बैठक में सर्व आदिवासी समाज के जिलाध्यक्ष जीवराख़न लाल मरई ने कहा कि पिछले कई वर्षों शासन-प्रशासन को निवेदन किये कोई सकारात्मक पहल सरकार के द्वारा नहीं होने से अपनी बात रखने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से दिनांक 19 जुलाई 2021 को जिला एवम् ब्लॉक स्तरीय धरना प्रदर्शन माह सितम्बर 2021 में बंद एवं चक्काजाम किये प्रदेश स्तरीय महाबंद भी किये उसके उपरांत भी सरकार प्रशासन एवं जिला स्तर पर भी कोई पहल नहीं किया गया 14 मार्च को 2022 को हुकार रैली एवं विधानसभा घेराव 32 प्रतिशत के लिए जिला,ब्लाक में धरना उपरांत संभाग स्तरीय धरना प्रदर्शन 15 नवम्बर 2022 किया गया। आज भी इस प्रदेश के बहुसंख्यक आदिवासी समाज हताश एवं नाराज है। पूर्व में 19 फरवरी 2018 को रावणभाठा मैदान रायपुर में सर्वआदिवासी समाज के संवैधानिक एवं विभिन्न मांगों के 21 सूत्रीय मांग पत्र पर सभी आदिवासी समाज प्रमुख एवं वर्तमान सरकार के अधिकतर विधायक और मंत्रियों का भी हस्ताक्षर है उसके बाद भी न पूर्व के सरकार न ही वर्तमान के सरकार द्वारा जिसमें बहुसंख्यक आदिवासी विधायक है इसके बावजूद आदिवासी समाज के किसी भी प्रावधानित संवैधानिक अधिकार मांग एवं प्रताडना में कोई भी निदान नहीं हुआ है।
सर्व आदिवासी समाज का शासन के प्रति नाराजगी का प्रमुख संवैधानिक एवं नैसर्गिक अधिकार तथा ज्वलत
समस्याएं निम्नानुसार है आदिवासी बाहुल राज्य में राज्य गठन नवम्बर 2001 से आरक्षण 32 प्रतिशत मिलना था लेकिन नहीं मिला। 2012 का अभ्यादेश भी हाईकोर्ट से अपास्त हो गया। संवैधानिक प्रावधान होते हुए भी आदिवासी समाज का 32 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल रहा है।
जिला-सुकमा के ग्राम-सिलेगर में निर्दोष ग्रामीणों के उपर अंधाधुंध गोलीबारी से मृतको के परिजन को 50लाख और घायलों को 5 लाख एवं मृतक परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार शासकीय नौकरी दिया जाए। एडसमेटा सारकेगुडा ताडमेटला घटनाओं के न्यायिक जांच में सभी एनकाउंटर फर्जी पाया गया है दोषी अधिकारी कर्मचारी पर तत्काल दण्डात्मक कार्यवाही तथा मृतक एवम प्रभावित के परिवार को उचित मुआवजा बस्तर में नक्सल समस्या का स्थायी समाधान हेतु शासन स्तर पर पहल करें। छत्तीसगढ़ प्रदेश में पेसा कानून का नियम बनाया गया है उसमें संशोधन कर ग्रामसभा को पूर्ण अधिकार दिया
छग में विभिन्न शासकीय पदों के पदोन्नति में आरक्षण लागु करें। पांचवी अनुसूची क्षेत्र में गैर संवैधानिक रूप से बनाये गये नगर पंचायतों, नगर पालिक निगम को वापस ग्राम सभा बनाया जाये।
छ.ग. राज्य में समस्त वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाये जाये एवं वहां निवासरत किसानों को राजस्व ग्राम की तरह अधिकार एवं सुविधा दी जाए। सीतानदी अभ्यारण्य में प्रभावित वनग्राम / ग्राम में वनोपज संग्रहण और विक्रय का अधिकार दिया जाये।
मात्रात्मक त्रुटि में सुधार किया जाकर 18 जनजाति को जाति प्रमाण पत्र (सामाजिक पारस्थितिक प्रमाणीकरण पत्र) जारी करे। अनुसूची में उल्लेखित जनजातियों का जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं करने वाले संबंधित अधिकारी
पर दण्डात्मक कार्यवाही करे नगारची समाज के 15 से 20 प्रतिशत लोगों के मिशल रिकार्ड में मंगिया शब्द अंकित है जबकि मंगिया कोई जाति नहीं है को विलोपित कर नगारची मान्य कर जाति प्रमाण पत्र बनाया जाये। ऐसी ही अन्य अनुसूचित जनजातियों के भ्रामक भाषायी और लिपिकीय त्रुटि के चलते रोके गये जनजातियों के सामाजिक पारिस्थितिकी प्रमाणीकरण पत्र जारी करें फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रकरण पर दोषियों पर शीघ्र कार्यवाही हो शासकीय नौकरी में बैकलॉग एवं नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जाये। पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में तृतीय
एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भर्ती में शत-प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाये। प्रदेश के 5 वीं अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति के बिना किये गये भूमि अधिग्रहण रद्द करें एवं बिना ग्रामसभा के सहमति के किसी प्रकार का कार्य न किया जाय एवं शासकीय एवं सार्वजनिक उपक्रम के अलावा किसी भी कार्य की सहमति न दी जाय। बस्तर में नगरनार विनिवेश को रोका जाय तथा हसदेव कोल ब्लाक खनन को भी रोका जाये।प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण न की जाए आवश्यक होने पर लीज में लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाए जाए गौण खनिज का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जाये। पाचवी अनुसूची क्षेत्र कांकेर जिला के 14 ग्राम पंचायत में सरपंच पद को अनारक्षित किया गया है उसे पुनः आदिवासी के लिए आरक्षित किया जाये। अनुसूचित जाति एवं जनजाति का आरक्षण एवं सुविधाए जाति पर आधारित है (आर्टिकल 16 ) अतः केन्द्र सरकार द्वारा छात्रवृत्ति योजना में आदिवासीयों के लिए आय सीमा में 2.50 लाख निर्धारित है उसको समाप्त किया जाये।आदिवासी सलाहकार परिषद का गठन नियमानुसार किया जाये इस परिषद का अध्यक्ष आदिवासी सलाहकार परिषद के सदस्यों में से ही होना चाहिए आदिवासी सलाहकार परिषद का एक कार्यालय होना चाहिए जहा अ जजा वर्ग के जनप्रतिनिधि अपनी समस्या एव विचार रख सकें। वर्तमान में जो इस परिषद के सदस्य नहीं है वह आदिवासी सलाहकार परिषद का अध्यक्ष है उसे तत्काल हटाया जाये तथा आदिवासी को ही अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया जाये।
छ.ग प्रदेश में विधिसम्मत बसाये गए विदेशी शरणार्थियों के अलावा अवैध रूप से आदिवासी क्षेत्रों में रह रह विदेशी घुसपैठियों जिनकी संख्या हजारों में है उनका निष्पक्ष जांचकर इसे आदिवासी क्षेत्र से बाहर भेजा जाये। बस्तर संभाग में हजारों बेकसूर आदिवासियों को नक्सली या उनका सहयोगी बताकर नक्सल धारा लागू कर जेलों में बिना कारण के बन्दी बनाकर रखा गया है ऐसे निरापराध आदिवासियों को निष्पक्ष जांच कर निशर्त जेलों से रिहाई किया जाये तथा फर्जी तरीके से मारे गए आदिवासियों के परिवारों को रू 25 लाख मुआवजा दिया जाये सलवा जुडूम में 600 उजड़े गांव को पुन बसाया जाय और जो अन्य क्षेत्रों / प्रांत में गये हो उन्हें वापास लाया जाये। अभ्यारण्य और टाईगर रिजर्व बांध या सरकारी उपक्रम के नाम पर आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है जिसके तहत सीतानदी अभ्यारण्य में 32 गांव, बारनवापारा अभ्यारण्य में गांव तथा उदती अभ्यारण्य एवं अचानकमार अभ्यारण्य में अनेको गांव उजाड़े जा रहे है। धमतरी के गंगरेल सोढूर दुधावा जैसे बांधों से विस्थापितों को मय व्याज मुआवजा तत्काल दिया जाय। अतः जब तक इन बस्तियों के आदिवासी के परिवारों तथा उनके पालतू जानवर नदी नाला बांध जंगल आदि का पुनर्वास एवं पुर्नव्यवस्थापन नहीं कर दिया जाता तब तक इन बस्तियों को न उजाड़ा जाए इसके लिए समाज विरोध करता है। सरगुजा संभाग में प्रस्तावित समस्त अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव पर तत्काल रोक लगाया जाये।
कबीरधाम जिले के लगभग 80-90 ग्राम पंचायत वनांचल क्षेत्रों में जो मैकल श्रेणी पर्वत अखला में बसे 250 से 300 गांव सम्मिलित है जिसकी आबादी लगभग 150000 के आसपास है यहा अधिकांश गोंड बैगा जनजाति अपनी रीति-नीति से जीवन यापन कर रहे है को अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया जाये रेंगा खार ब्लॉक नया बनाया जा रहा है उसको अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया जाये। अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण 1989 के प्रावधान होते हुए भी जमीन कब्जा मामलों पर एफ आई आर दर्ज नहीं किया जाता है तथा जिला न्यायालय भी कार्यवाही करने से इंकार करते है। अतः इस पर तत्काल कार्यवाही किया जाये।आदिवासी धार्मिक पारम्परिक और सांस्कृतिक स्थलों जैसे भोरमदेव के देखरेख और सेवा अर्जी के लिए बनाये गये समिति या ट्रस्ट में आदिवासी समाज के लोगों को ही रखा जाए। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी पारंपरिक धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों में ट्रस्ट न बनाए जाये।
आदिवासियों की घटती जनसंख्या विशेषकर अति पिछड़ी जनजाति के मद्देनजर उसकी संख्या के नियंत्रण को
बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाओं जैसे परिवार नियोजन की अवधारणा से परे समस्त जनजातियों को वंश वृद्धि में संख्या की बाध्यता से बाहर रहने की पात्रता में छूट दिया जाये। वन अधिकार कानून 2006 के तहत सभी दावेदारों को उनकी पूर्ण काबिज जमीन के व्यक्तिगत वनाधिकारों को मान्यता दी जाये।
आदिवासी समाज की लड़की से अन्य जाति / समाज में शादी होने पर इनके नाम की जमीन जायदाद वापस किया जाए। आदिवासियो पर उत्पीडन जैसे-जमीन का हस्तांतरण महिला एवं बच्चों पर अत्याचार हत्या, जातिगत अपमान पर तत्काल कार्यवाही करें।उपरोक्त संवैधानिक अधिकार मांग प्रताड़ना के लिए सर्व आदिवासी समाज (रूढी जन्य परम्परा पर आधारित) लगातार ब्लॉक से लेकर राज्य स्तरीय ज्ञापन धरना प्रदर्शन, चक्काजाम विधानसभा घेराव किये लेकिन शासन-प्रशासन के द्वारा कोई भी पहल नहीं किया गया। सत्ता में 30 विधायक होने के बाद भी कोई निदान नही हुआ न ही विपक्ष के द्वारा इन मुद्दों पर पार्टी फोरम या विधानसभा में कोई ठोस पहल की गई आदिवासी समाज अपने इन बातों एवं स्थानीय मुद्दों को लेकर जनजागृति गांव-गांव एवं मोहल्ला पारा तक पहुचायेगी और शासन-प्रशासन को अपने अस्तित्व के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ेगी। जिला स्तरीय सर्व आदिवासी समाज के बैठक में प्रमुख रूप से जिला अध्यक्ष जीवराखन लाल मरई पूर्व जनपद अध्यक्ष माधव सिंह ठाकुर ब्लॉक सर्व आदिवासी समाज अध्यक्ष जगन्नाथ मंडावी कर्मचारी संघ अध्यक्ष रोहित दीवान घनश्याम कवर ओम प्रकाश महेश रावटे जिला कार्यकारी अध्यक्ष,देवनाथ नगारची,कमलनरायण मंडावी,सुरेन्द्र राज ध्रुव,माधवसिंह ठाकुर, जयपाल ठाकुर,उमेशचंद्र देव,रोहित दिवान,जगन्नाथ ध्रुव,एच आर परिहा,शशि ध्रुव,अनिता ध्रुव,सुरेश ध्रुव,माखन ध्रुव,हुलास सुर्याकर,राजाराम दिवान,गजेन्द्र दिवान,देवदत्त सोम,कृष्णा नेताम,देवनाथ नेताम,कन्हैया दिवान,प्रमोद कुंजाम,तिजेन्द्र कुंजाम,रामूकंवर, प्रहलाद कंवर,सेवक राम ध्रुव के साथ जिला सर्व आदिवासी समाज के साथ चारों ब्लॉक के सर्व आदिवासी समाज के साथ सैकड़ों सामाजिक जन उपस्थित रहे।

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